नरेंद्र तिवारी: भवानी प्रसाद मिश्र दादा की कविता “सतपुढा के घने जंगल याद करते हुए” इस धरा के घने जंगलजाने… READ MORE
विश्वजीत नास्तिक:अररिया, बिहार | कक्षा 12वी तेरी यादों का मौसम,बेमौसम बरसात की तरह है…,जब भी आती है,मुझे भीगा जाती है…।… READ MORE
मुस्कान पटेल: बरसात का आगाज़किसान की आवाज़ तिल अभी बस मुस्कुराई थी,उड़द, लहलहाई ही थीमूंग में महक आई ही थी,कि… READ MORE
नवनीत नव: और इन्होंने खोजा क्या है? आज के समय विज्ञान मानता है कि आधुनिक मानव यानि होमो सेपियंस यानि… READ MORE
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तरुण जोशी: महिलाएं उत्तराखंड की आर्थिकी की हमेशा से ही रीढ़ बनी रही हैं। यहाँ की आर्थिकी में किसी भी… READ MORE
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धर्मेन्द्र यादव: सन् 2008 में एक एनेमीशेन फिल्म आई, वॉल-ई। इस फिल्म में दिखाया गया कि किस तरह से दुनिया… READ MORE
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मनिषा शहारे: मेरा नाम मनीषा है और जंगल में मिलने वाली तमाम लघु वन उपजों के साथ-साथ औषधीय गुणों वाली… READ MORE
ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह: हम करोड़ों दिए भी जला देंगे परराम जंगल से वापस आएंगे नहीं। हमने लाखोंदिखावे-छलावे कियेमन के दीपक… READ MORE
युवानिया पत्रिका, युवाओं को उनकी सोच को कलमबद्ध करने का एक मंच देने का प्रयास है। इस पत्रिका के माध्यम से हम मुख्यतः युवा मन के विचारों को सामने लाना चाहते हैं। साथ ही आस-पास के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृष्य पर युवाओं के विचारों को भी साझा करना चाहते हैं।
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