
पिलवापाली की अमरिका
मंजुलता मिरी: अमरिका बरिहा, पिता सारदा बरिहा और माता सुमित्रा बरिहा, ग्राम पिलवापाली, ब्लॉक पिथोरा, ज़िला महासमुंद, (छत्तीसगढ़) की निवासी हैं। अमरिका को शादी कर के ओनकी में दिए थे। शादी के कुछ साल बाद अमरिका का तालाक हो गया। अमरिका अपने पति और 1 साल की बच्ची को छोड़कर अपने पिता के घर वापिस

मनीषा का जीवन परिचय
नाव: मनीषा मनोज शहारे मुक्काम: कन्हांळगाव | पोस्ट: राजोली | तहसील: अर्जुनी/मोरगाव | जिल्हा: गोंदिया( महाराष्ट्र राज्य) शिक्षण: बीए पार्ट 2 | वय: 37 वर्षेआईचे नाव: धनवंता रमेश भैसारे | वडीलाचे नाव: रमेश मोतीराम भैसारेआवड: गाणं म्हणे, भाषण देणे, लोकांच्या कल्याणार्थ काम करणे गोंदिया जिल्ह्यातील अर्जुनी मोरगाव तालुक्यातील माहुरकुडा हे माझे जन्मस्थान आहे। माझं शिक्षण बारावीपर्यंत

ଆମ ପରିବେଶ ଆମ ହାତରେନୂତନ ସନ୍ଦେଶ (हमारा पर्यावरण हमारे हाथ में – एक नया संदेश)
ହେମାଙ୍ଗିନୀ ମହାଲିଙ୍ଗ:(हेमांगिनी महालिंगा): ଆମେ ପ୍ରତେକ ବର୍ଷ ଜୁନ୍ ମାସ ପାଞ୍ଚ ଦିନସାରା ବିଶ୍ବରେବିଶ୍ବ ପରିବେଶ ଦିବସ ରୂପେ ପାଳନ କରିଥାଉ ।ବିଶ୍ବ ପରିବେଶ ଦିବସ କହିଲେ ଆମେ କ’ଣ ବୋଲି ବୁଝୀଥାଉ। ବିଶ୍ବ କହିଲେ ବିଶାଳ ପରି କହିଲେ ପ୍ରାକୃତିର ସୁନ୍ଦରତା ବେଶ କହିଲେ ସୀମା ବା ତାହା ଏକ ଅତୁଳନୀୟ ଦିବସ କହିଲେ ଦିନ ।ଅର୍ଥାତ ସମଗ୍ର ବିଶ୍ବରେ ଏବଂ ଆମ ଚତୁଃପାର୍ଶ୍ବରେ ଘେରି ରହିଥିବା ଜଳ ସ୍ଥଳ ବାୟୁ ଉଦ୍ଭିଦ ଏବଂ ପ୍ରାଣୀଜଗତ

जब सडकें बनती हैं
सौरभ: जब सडकें बनती हैंतब जाकर कोई शहरतरक्की की पहली सीढ़ी पाता हैतहसील ऑफिस के पासप्राइवेट बैंक का ब्रांच भीउसके बाद ही खुल पाता हैमुख्यधारा से बहुत दूरसड़क से दूर गांवों में तोबनती सड़क पर लदकर ही विकास आता है हमें भी तो यही पता हैकि हमारे सामने की सड़कचौड़ी हो..तो हम ज्यादा सभ्यसंकरी हो..

अपने पुरखों की ज़मीन से जबरन विथापित किए जा रहे छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले के वनआश्रित समुदाय
मंजुलता मिरी: मेरा नाम मंजुलता मिरी है। मेरे पति का नाम परसराम मिरी है। मैं दलित समुदाय से हूँ। छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले के पिथौरा ब्लॉक के ग्राम पिलवापाली की निवासी हूँ। हम 1980 के पूर्व 3 पीढ़ी से अपनी ज़मीन पर काबिज़ हैं। तब से पिलवापाली में निवास कर, काबिज़ ज़मीन पर खेती कर

समाज की विडंबना
दीपा शुक्ला: हमारे समाज में किसी बात को लेकर सहमति जताई जाती है तो किसी बात का विरोध। पर मन में ख्याल आता है कि जब समाज में कोई भी गतिविधि होती है तो वो किसी एक व्यक्ति की पहल होती है। अगर उसके नजरिए से देखा जाए तो वो हर बात उसके लिए सही

ରାସ୍ତା କଡର ଜୀବନ୍ रास्ते (सड़क) के किनारे का जीवन
ଡୋଲାମଣି: ନା ଅଛି ଛାତ ନା ଅଛି କାନ୍ଥ ତଥାପି ଚାଲିଛି ରାସ୍ତା କଡରେ ସର୍ବହରାକଂ ଜୀବନନା ଅଛି ଶିକ୍ଷା ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ଶୁଦ୍ଧ ପିଇବା ପାଣି ଶୁଦ୍ଧ ପରିବେଶ ଖାଦ୍ୟ ଓ ମକାନ୍ତଥାପି ଚାଲିଛି ରାସ୍ତା କଡରେ ସର୍ବହରାକଂ ଜୀବନ ।। ନା ଅଛି ଆଧାର କାର୍ଡ଼ ରାସନ କାର୍ଡ ଭୋଟର କାର୍ଡ ଭତ୍ତା କାର୍ଡସେମାନେ ସବୁ ଯୋଜନା ରୁ ବଂଚିତହେଲେ ତାକଂ ଲାଗି ଯୋଜନା ମାଲମାଲତଥାପି ଚାଲିଛି ରାଜ ରାସ୍ତା କଡରେ ସର୍ବହରାକଂ ଜୀବନ

विश्व पर्यावरण दिवस – कविता
रासमनी तांती: आज है विश्व पर्यावरण दिवस क्या आन पड़ी मनाने को पर्यावरण दिवस जो हो गये मानव पेड़-पौधे लगाने को विवश प्रकृति से करते हैं छेड़छाड़, पूरा करने अपनी दिल की हवस पर्यावरण करता है सबका भरण-पोषण इसलिए ना करना तू इसका शोषण सदाबहार हो चाहे पतझड़ समशीतोषण करता है हर वक़्त जीव कल्याण

मैं और मेरा ईश्वर
जसिंता केरकेट्टा: एक दिन ईश्वर मेरी आदत में शामिल हो गया अब मेरी आदत में ईश्वर था जैसे मेरी आदत में तंबाकू जिस दिन कुछ लोगों ने मिलकर ईश्वर के ही घर में नन्ही बच्ची के साथ दुष्कर्म किया बच्ची ने दिल से ईश्वर को याद किया मगर वह मंदिर के कोने में खड़ा रहा
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