
हसदेव अरण्य इलाके में कोयला खनन और उसके खिलाफ संघर्ष की टाइमलाइन
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन: 2005: हाथी टास्क फोर्स द्वारा समीक्षा के आधार पर हसदेव अरण्य क्षेत्र में लेमरू हाथी अभयारण्य प्रस्तावित किया गया। 2007: पहली कोयला खदानें – राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) को परसा ईस्ट केते बासन (PEKB) आवंटित, जबकि परसा कोयला ब्लॉक छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) को आवंटित किया

खनन की व्यथा, स्थानीय साथियों की जुबान
युवानिया डेस्क: बबीता अपने व्यक्तव्य में गेवरा ज़िले में चालू खदानों का क्षेत्र, समाज और समुदायों में प्रभाव पर अपनी बात रखती हैं । लग्भव 50 वर्षों से खनन से प्रभावित, वह दूसरों के जैसे आज तक भी उचित मुआवजे और पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रही है जिसके वे हकदार हैं। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष

मर गाँव, जगहा, जमीन कर लड़ई, अदानी, गहलोत ले जंगल ला कई से बचई
रामलाल करियम: आयेज हमन हसदेव छेत्र के सालही, फतेहपुर, हरिहर पुर के लोग मन फेर जुटे न हमर संग दर्जन भर गाँव के साथी मन भी दु चार सौ ले ज्यादा संख्या मा रहिंन् आउर जंगल जमीन ले कई से बचा बो सोंच के चिंता करत रहेन हिंदी लिखे ला तो जानन नहीं फेर सोचे

प्रतिकूल फैसलों के बाद भी हसदेव बचाने का संघर्ष जारी है: अभी जग जीता नहीं है और हम हारे नहीं हैं
सत्यम श्रीवास्तव: हसदेव अरण्य के मामले में न्यायालयों की दखल एक दशक से छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य को बचाने को लेकर चल रहे संघर्ष का स्वरूप अब स्थानीय से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है। 4 मई को हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के आव्हान पर पूरे देश में 500 से ज़्यादा जगहों पर

हम हसदेव के आदिवासी हैं
उमेश्वर: हम हसदेव के आदिवासी हैं, आक्सीजन बचाने का संघर्ष करते हैं साहब। जल जंगल जमीन बचाना हमारा धर्म है, शोषण, अत्याचार, लूट के खिलाफ और संवैधानिक अधिकार से वंचितों को, न्याय दिलाना हमारा कर्तव्य है साहब। हम नदी-नाला-पहाड़-प्रकृति से प्रेम करते हैं, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों का पूजा करते हैं। विकास के नाम से हमारे जंगलों

हसदेव में कोयला खनन की खिलाफत करते हैं यह गीत
युवानिया डेस्क: वीडियो आभार: Appy Raja वीडियो आभार: Kavi Akash Sahu {मनबईहा} वीडियो आभार: OP Dewangan Author Yuvaniya View all posts

हसदेव अरण्य में कोयला खनन की कीमत- आदिवासियों और पर्यावरण का विनाश
युवानिया डेस्क: जिस गति से पर्यावरण में बदलाव आ रहे हैं, वह किसी एक इलाके के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में कोयला खनन के लिए हज़ारों हेक्टेयर में फैले जंगलों में मौजूद लाखों पेड़ों को काटने की स्वीकृति दे दी गयी है। यहाँ बात

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन का विस्तृत सच
युवानिया डेस्क: हसदेव अरण्य, देश के मध्यपूर्व के छत्तीसगढ़ राज्य में आने वाला एक सघन वन क्षेत्र है। करीब 1 लाख 70 हज़ार हेक्टेयर इलाके का यह वनक्षेत्र छत्तीसगढ़ के तीन जिलों सरगुजा, कोरबा और सूरजपुर में फैला हुआ है। अपनी समृद्ध वन संपत्ति, जैव विविधता और पर्यावरण की महत्ता के चलते 2010 में ‘नो

हमारी पहचान: तोड़नेवाली – जोड़नेवाली
अमित: Author अमित / Amit अमित, सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़े हैं और मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले में एक वैकल्पिक शिक्षा के प्रयोग पर शुरू हुआ स्थानीय स्कूल – आधारशिला शिक्षण केन्द्र चलाते हैं। View all posts
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