सेंटर फॉर फाइनेंसियल एकाउंटेबिलिटी: महंगाई का पारा कैसे चढ़ा? क्या रिज़र्व बैंक कभी बताएगा? | हमारा पैसा हमारा हिसाब मुद्रास्फीति को 6% की सीमा तोड़े

युवाओं की दुनिया
सेंटर फॉर फाइनेंसियल एकाउंटेबिलिटी: महंगाई का पारा कैसे चढ़ा? क्या रिज़र्व बैंक कभी बताएगा? | हमारा पैसा हमारा हिसाब मुद्रास्फीति को 6% की सीमा तोड़े
यह कविता पावरी भाषा में लिखी गयी है। यह भाषा पश्चिम मध्य प्रदेश और उससे लगे महाराष्ट्र के भील, पावरा आदिवासियों द्वारा बोली जाती है।शहरों
आर.टी.जे.डी: हम तो दीवाने रहे हैं किताबों केजानें कैसे रहे हैं बिन पढ़ेन रह सकेंगे बिन पढ़े।इंतज़ार है उस घड़ी काजो इंतजार कर रही है।हम