रिश्तों का भंवरजाल

यशोदा गुर्जर: बडी महकती सी सुबह थी एक दिन। धीरे-धीरे चिड़िया चहकती हुई मेरे पास आकर बैठी और मुझे अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहने

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