
युवानिया पत्रिका, युवाओं को उनकी सोच को कलमबद्ध करने का एक मंच देने का प्रयास है। इस पत्रिका के माध्यम से हम मुख्यतः युवा मन के विचारों को सामने लाना चाहते हैं। साथ ही आस-पास के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृष्य पर युवाओं के विचारों को भी साझा करना चाहते हैं।
हमारा मानना है कि गरीब वर्ग को अपने हालातों के बारे में और इन हालातों को बदलने के तरीकों के बारे में सोचना बहुत ज़रूरी है। समाज बदलने का संघर्ष केवल सड़कों पर नहीं लड़ा जा सकता। यह विचारों की लड़ाई भी है।
अभिव्यक्ति के कई माध्यम हो सकते हैं – लेख, चित्र, कहानी, कविता, शायरी आदि। युवानिया ‘मुझे लिखना नहीं आता’, या ‘मेरा विचार सही है या गलत’ की सोच से अलग रचनात्मक अभिव्यक्तियों को एक पत्रिका में संजोने का प्रयास है। महामारी के इस दौर में यह प्रयास है कि सम्प्रेषण के अभाव में खासतौर पर ग्रामीण और आंचलिक क्षेत्रों के युवाओं के विचार भी लॉकडाउन की चपेट में ना आ जाएं। युवाओं की दुनिया, उनके विचारों की झलकियों को सबके सामने लाने का प्रयास ही ‘युवानिया’ है।
युवानिया संपादक मंडल –









