2022 का मेडिसिन/फिजियोलॉजी का नोबेल पुरस्कार डॉ. स्वांते पेबो को मिला है।

नवनीत नव:

और इन्होंने खोजा क्या है?

आज के समय विज्ञान मानता है कि आधुनिक मानव यानि होमो सेपियंस यानि हम लोग इस धरती पर सबसे पहले अफ्रीका में 03 लाख साल पहले दिखाई दिए थे। लेकिन हमसे पहले एक अन्य मानव प्रजाति अफ्रीका से बाहर विचरण कर रही थी। यह प्रजाति थी नियंडरथल मानवों की। नियंडरथल मानव 04 लाख साल पहले धरती पर आये थे और यूरोप व एशिया के अधिकतर भूभाग में फैले हुए थे।

लगभग सत्तर हज़ार साल पहले आधुनिक मानवों ने अफ्रीका से एशिया की धरती पर कदम रखा था। आज से तीस हज़ार साल पहले नियंडरथल मानव विलुप्त हो गए। तो इसका मतलब यह हुआ कि लगभग चालीस हज़ार साल तक होमो सेपियंस और नियंडरथल मानव एक साथ यूरोप और एशिया में विचरण कर रहे थे।

1990 के दशक में वैज्ञानिकों ने मानव के जेनेटिक कोड को देखना शुरू किया। इसके लिए नए-नए औज़ार और नई तकनीकें विकसित हो रही थी। डॉ. स्वांते पेबो ने इन्हीं औज़ारों और तकनीकों की मदद से नियंडरथल मानव के जेनेटिक कोड का अध्ययन किया। लेकिन ये तकनीकें नियंडरथल मानव के डीएनए को समझने के लिए कारगर सिद्ध नहीं हो रही थीं क्योंकि नियंडरथल का डीएनए पूर्ण अवस्था में मिलता ही नहीं था।

म्युनिख विश्वविद्यालय में काम करते हुए डॉ पेबो ने माईटोकॉन्डरिया (हमारी कोशिकाओं में मौजूद एक विशेष संरचना जिसे कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है) में मौजूद डीएनए का अध्ययन करने पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि माईटोकॉन्डरिया के डीएनए में कोशिका के डीएनए से कम जानकारी होती है लेकिन नियंडरथल के केस में यह कोशिका के डीएनए से ज़्यादा अच्छी हालत में मिल रहा था इसलिए सफलता की संभावना ज्यादा हो गई थी।

अपनी नई तकनीक के द्वारा पेबो ने नियंडरथल मानव की एक चालीस हज़ार साल पुरानी हड्डी के माईटोकॉन्डरिया के डीएनए का सीक्वेन्स बनाने में सफलता हासिल कर ली। और यह पहला सबूत था जो यह बताता है कि आधुनिक मानव नियंडरथल से जेनेटिक तौर पर भिन्न है। यानि यह एक भिन्न प्रजाति है।

2010 में पेबो और उनकी टीम ने नियंडरथल का पहला जेनेटिक सीक्वेन्स छापा। पेबो की इस खोज ने हमें यह बताया कि आज से आठ लाख साल पहले हमारा यानि होमो सेपियंस और नियंडरथल मानव का एक कॉमन पूर्वज इस धरती पर था।

पेबो और उनकी टीम को आधुनिक मानव के डीएनए में नियंडरथल के डीएनए के अंश भी मिले जिससे यह पता चलता है आधुनिक मानव और नियंडरथल मानव के बीच में इंटरब्रीडिंग होती रही है।

लेकिन सिर्फ यही काफ़ी नहीं था। पेबो को दक्षिणी साइबेरिया की एक गुफा में चालीस हज़ार साल पुरानी इंसानी ऊँगली की हड्डी मिली थी। जब पेबो ने इसकी डीएनए सीक्वेन्सिंग की तो उन्हें कुछ ऐसा मिला जोकि आज तक किसी को नहीं मिला था। इस हड्डी का डीएनए न तो नियंडरथल के डीएनए से मिलता था और न ही आधुनिक मानव के डीएनए से। यह मानव की एक सर्वथा नई प्रजाति थी। इस नई प्रजाति को डेनिसोवा नाम दिया गया क्योंकि जिस जगह यह हड्डी मिली थी उस जगह को डेनिसोवा ही कहा जाता है। डेनिसोवा और नियंडरथल लगभग ०६ लाख साल पहले एक दूसरे से अलग हुए थे।

लेकिन अभी एक महत्वपूर्ण खोज और बाक़ी थी। दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों में से 6% में डेनिसोवा मानव के डीएनए के अंश भी मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इन दोनों समूहों के बीच भी सम्पर्क रहा होगा।

बहरहाल इन खोजों ने हमारे पूर्वजों के बारे में हमारी जानकारी को विकसित किया है। साथ ही इनसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास को समझने में भी मदद मिली है।

तीस साल पहले शुरू हुई विज्ञान की इस नई शाखा ने अब फल देने शुरू किये हैं, उम्मीद है कि आगे भी मानव अपने ज्ञान का दायरा बढ़ाता रहेगा।

इसके अलावा एक और बात। डॉ स्वांते पेबो 1982 के फिजियोलॉजी/मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार विजेता सुनये बेर्गस्त्रोम के पुत्र हैं। सुनये बेर्गस्त्रोम को नोबेल पुरस्कार प्रोस्टाग्लैंडिन नामक एक बायोकेमिकल के ऊपर उनके काम के लिए मिला था।

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