मुस्कान पटेल:
बरसात का आगाज़
किसान की आवाज़
तिल अभी बस मुस्कुराई थी,
उड़द, लहलहाई ही थी
मूंग में महक आई ही थी,
कि अधिक पानी,
सब एक साथ ले गया।
सिर्फ फसल नहीं बही,
ये मेरा संसार बह गया।
कितने अरमान सजाये थे
मेरे सारे अरमान ले गया।
सिर्फ फसल नहीं बही,
ये मेरा संसार बह गया।
बेटी की सगाई,
बेटे की पढ़ाई।
माँ का इलाज,
पिता की दवाई।
पानी ही आँखों में पानी दे गया।
सिर्फ फसल नहीं बही,
ये मेरा संसार बह गया।
मैं कहूँ तो क्या कहूँ,
मैं बेहाल सा, सब कुछ कह गया।
सब मेरी आँखों के सामने उजड़ा,
मैं बस देखता रह गया।
मैं पहले ही तंगी का मारा था,
बस एक खेती का सहारा था,
अब वो भी न रह गया।
सिर्फ फसल नहीं बही,
ये मेरा संसार बह गया।
फीचर्ड फोटो आभार: द वेदर चैनल