ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह:
हम करोड़ों दिए भी जला देंगे पर
राम जंगल से वापस आएंगे नहीं।
हमने लाखों
दिखावे-छलावे किये
मन के दीपक कभी भी जलाए नहीं।
हम दिवाली
मनाते रहे हर दफ़ा,
राम वापस अयोध्या को आए नहीं।
हम ये मंदिर-ओ-मस्जिद बना लेंगे
पर राम को उसमे बिठा न पाएंगे।
हम करोड़ों ………………
हो भी सकता है,
उनको पता चल गया,
हमने काटे हैं सर और कटाये हैं सर।
राम के नाम
पर कितने दंगे हुए
राम को लग गयी होगी इसकी खबर।
लौटते गर रहे होंगे वापस वतन
लेने वापस समाधि चले जाएंगे।
हम करोड़ों दिए भी जला देंगे पर
राम जंगल से वापस आएंगे नहीं।
Author
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ज्ञानेंद्र, उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले से हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। वे लगातार थिएटर और फिल्मों से जुड़े हुए हैं और कई शार्ट फिल्में भी बनाई हैं, जिन्हें कई अवार्ड भी मिले हैं। आजकल ये लखनऊ में रहकर फिल्म जगत और साहित्य के लिए स्वतंत्र लेखन और निर्देशन में सक्रिय हैं। ज्ञानेंद्र गजल, गीत, कविताएँ, कहानियाँ और फिल्मों के लिए लिखते हैं।
Pratap Singh Gyanendra
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