ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह:
हम करोड़ों दिए भी जला देंगे पर
राम जंगल से वापस आएंगे नहीं।
हमने लाखों
दिखावे-छलावे किये
मन के दीपक कभी भी जलाए नहीं।
हम दिवाली
मनाते रहे हर दफ़ा,
राम वापस अयोध्या को आए नहीं।
हम ये मंदिर-ओ-मस्जिद बना लेंगे
पर राम को उसमे बिठा न पाएंगे।
हम करोड़ों ………………
हो भी सकता है,
उनको पता चल गया,
हमने काटे हैं सर और कटाये हैं सर।
राम के नाम
पर कितने दंगे हुए
राम को लग गयी होगी इसकी खबर।
लौटते गर रहे होंगे वापस वतन
लेने वापस समाधि चले जाएंगे।
हम करोड़ों दिए भी जला देंगे पर
राम जंगल से वापस आएंगे नहीं।