आदिवासी कला एवं उनके सौंदर्य बोध

कोर्दूला कुजूर: एक व्यक्ति को सम्पूर्ण होने के लिए उनके अन्दर सौन्दर्य बोध का होना अनिवार्य है। क्योंकि उसके बिना उनका  जीवन खोखला (अधूरा) है।

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आदिवासी करम पर्व में प्रेम की अभिव्यक्ति 

युवानिया डेस्क: यह पॉडकास्ट नीतिशा खलखो द्वारा डॉ. शांति खलखो के लेख पर बनाया गया है। कर्म पर्व, प्रकृति प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए आदिवासी

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पुटू खोजने और खाने का अनोखा अनुभव

एलीन लकड़ा: जीवन में जब भी कोई मेरे हॉबीस के बारे में पूछते रहे हैं, और मेरे मन में हमेशा हिचकिचाहट रही है। मुझे लगता

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ग्राम सभा में मज़बूत उपस्थिती दर्ज़ कराती चैनपुर झारखंड की आदिवासी महिलाएं  

‘ग्राम  सभा की कहानी” सीरीज़ का यह वीडियो ‘ग्राम स्वशासन अभियान’ की एक पहल है, जिसे अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से  ‘अखड़ा रांची’ द्वारा

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“ମୁଁ ମାଆ ଟେ” | क्यों महुआ तोड़े नहीं जाते पेड़ से?

ଜାକିଣ୍ଟା କେର୍କେଟା : ମା!ତୁ ଏମିତି ରାତିସାରାକାହିଁକି ଅପେକ୍ଷା କରୁଛୁ?ମହୁଲ ଫୁଲ ଗୁଡ଼ିକ ତଳେପଡ଼ିଲା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ!ଗଛରୁ ଛିଣ୍ଡାଇ ଆଣି ଦେଉନୁ! ପ୍ରଶ୍ନ ଶୁଣି ମା କହେ,ଇଏ ରାତି ସାରାଗର୍ଭ ରେ ରହେଜନ୍ମ ସମୟଉପନୀତ ହେଲେସ୍ଵତଃ

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