आफाक: विकास की बयार में घर, मकान और दुकान के साथ बहुत कुछ उजड़ रहा है। हमारा गाँव पहाड़गंज घोसियाना है, घोसियाना दो हिस्सों में

युवाओं की दुनिया
आफाक: विकास की बयार में घर, मकान और दुकान के साथ बहुत कुछ उजड़ रहा है। हमारा गाँव पहाड़गंज घोसियाना है, घोसियाना दो हिस्सों में
ଜାକିଣ୍ଟା କେର୍କେଟା : ମା!ତୁ ଏମିତି ରାତିସାରାକାହିଁକି ଅପେକ୍ଷା କରୁଛୁ?ମହୁଲ ଫୁଲ ଗୁଡ଼ିକ ତଳେପଡ଼ିଲା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ!ଗଛରୁ ଛିଣ୍ଡାଇ ଆଣି ଦେଉନୁ! ପ୍ରଶ୍ନ ଶୁଣି ମା କହେ,ଇଏ ରାତି ସାରାଗର୍ଭ ରେ ରହେଜନ୍ମ ସମୟଉପନୀତ ହେଲେସ୍ଵତଃ
नरेंद्र तिवारी: भवानी प्रसाद मिश्र दादा की कविता “सतपुढा के घने जंगल याद करते हुए” इस धरा के घने जंगलजाने कैसे बने जंगलखूब सुंदर खूब
मैं प्रकृति हूँ…आओं मुझे संवार लोमैं सुरक्षित रहूंगी तोतुम संरक्षित रहोगे। मैं प्रकृति हूँ…मैं सदियों से लालन-पालन करते आ रही हूँ।मैं “प्रत्याशाओं” से भरी हूँ…मुझ
गोपाल पटेल: इस दुनिया में रिश्ते बनाना आसान है, लेकिन रिश्तों को निभाना बहुत कठिन है। जो इसकी अहमियत जानता है , वही इसे इत्मिनान
गोपाल पटेल: मैं वृक्ष हूँ, इस माटी का x2जो मुझे सींच कर रखती है।मैं वृक्ष हूँ इस माटी का जो मुझे जीवन देती है। मैं वृक्ष