विश्वजीत नास्तिक: एक ही दुनिया में कहीं सुबह है तो कहीं रात,कहीं विकसित देश है तो कहीं विकासशील राज्यकहीं सब चीजों से संपन्न शहर है

युवाओं की दुनिया
विश्वजीत नास्तिक: एक ही दुनिया में कहीं सुबह है तो कहीं रात,कहीं विकसित देश है तो कहीं विकासशील राज्यकहीं सब चीजों से संपन्न शहर है
बाबूलाल बेसरा: पहले नारी न तो जश्न मना सकती थी,न तो किसी जश्न में शामिल हो सकती थी।न तो देर रात तक सड़क पर चल
प्रेरणा: ऊंच-नीच, छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव आज भी समाज में देखने को मिल जाता है। समाज का सारा ठेका इन तथाकथित ऊंची जाति वाले
कोरोना महामारी के समय भी कालाबाज़ारी! अमित: आजकल एक बात बहुत चल रही है सोशल मीडिया में कि हमारे देश के लोग ऐसे क्यों हैं
डॉ. गणेश मांझी: 2019 में लगभग 11.35 लाख और 2020 में लगभग 10.6 लाख लोगों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए आवेदन दिए थे और