यह किताबों को कंठस्थ करने का समय है: कविता

मनीष आज़ाद: यह किताबों को कंठस्थ करने का समय हैक्योंकि किताबों को जलाने का आदेश कभी भी आ सकता हैतानाशाह को पता हैभविष्य जलाने के

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सामाजिक परिवर्तन शाला में आने से मेरे अंदर आए बदलाव: श्रेया

श्रेया कुमारी: सामाजिक परिवर्तन शाला (अग्रेज़ी में स्कूल फॉर सोशल चेंज या एसएससी) के शिविर में आने के बाद मेरी ज़िंदगी मे बहुत सारे बदलाव

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सामाजिक परिवर्तन शाला का मेरा अनुभव : आरज़ू

आरज़ू: सामाजिक परिवर्तन शाला (स्कूल फॉर सोशल चेंज या एसएससी) के शिविरों के दौरान मुझे अपने अंदर बहुत से बदलाव देखने को मिले और साथ

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पढ़ने की उम्र में पेट पालने की मजबूरी

कमलजीत कौर:   “हुर्रर्रर्र… हेहेहेहे…हौ…हेहेहेहे…हौ…” सूरज ने डरावनी सी आवाज़ निकाली और देखते ही देखते बाग़ से भागते पक्षियों ने आसमान भर दिया। सूरज नाशपाती के

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मेरी डायरी : मानव-मूत्र यानि पेशाब की उपयोगिता

अंकुश गुप्ता: कूड़े की समस्या को समझते हुए मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग पदार्थ कूड़े में जमा होते हैं।

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