मनीष आज़ाद: यह किताबों को कंठस्थ करने का समय हैक्योंकि किताबों को जलाने का आदेश कभी भी आ सकता हैतानाशाह को पता हैभविष्य जलाने के

युवाओं की दुनिया
मनीष आज़ाद: यह किताबों को कंठस्थ करने का समय हैक्योंकि किताबों को जलाने का आदेश कभी भी आ सकता हैतानाशाह को पता हैभविष्य जलाने के
संदीप कुमार: मुझे जो अ से ज्ञ तक आता है,उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है।मैंने जीवन में जो भी कामयाबी पाई हैहाँ मैंने
श्रेया कुमारी: सामाजिक परिवर्तन शाला (अग्रेज़ी में स्कूल फॉर सोशल चेंज या एसएससी) के शिविर में आने के बाद मेरी ज़िंदगी मे बहुत सारे बदलाव
आरज़ू: सामाजिक परिवर्तन शाला (स्कूल फॉर सोशल चेंज या एसएससी) के शिविरों के दौरान मुझे अपने अंदर बहुत से बदलाव देखने को मिले और साथ
कमलजीत कौर: “हुर्रर्रर्र… हेहेहेहे…हौ…हेहेहेहे…हौ…” सूरज ने डरावनी सी आवाज़ निकाली और देखते ही देखते बाग़ से भागते पक्षियों ने आसमान भर दिया। सूरज नाशपाती के
अंकुश गुप्ता: कूड़े की समस्या को समझते हुए मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग पदार्थ कूड़े में जमा होते हैं।