पढ़ने की उम्र में पेट पालने की मजबूरी

कमलजीत कौर:   “हुर्रर्रर्र… हेहेहेहे…हौ…हेहेहेहे…हौ…” सूरज ने डरावनी सी आवाज़ निकाली और देखते ही देखते बाग़ से भागते पक्षियों ने आसमान भर दिया। सूरज नाशपाती के

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साकड़ म.प्र. में आयोजित मज़दूर वर्कशॉप का अनुभव

राजू राम: साकड़ में बंधुआ मज़दूरी और उसके उन्मूलन के मुद्दे के बारे में समझ बनाने के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न संगठनों

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उसे ये फिक्र है कि हरदम नया तर्ज ए जफा क्या है

सुनील पासवान: ‘हमें ये शौक है, देखें सितम की इंतेहा क्या है।’ मेरे पापा श्री दीपानारायण पासवान, उफ़रेल चौक, वार्ड नं 9, अमगाछी पंचयात, सिकटी

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बिहार के अररिया ज़िले के त्रिस्कुंड गाँव की गरीबी की कहानी

नौशेरवाँ आदिल: नेता लोग कहते हैं कि गरीबी नहीं है। जो भी लोग गरीब हैं वह कामचोर हैं, आलसी हैं और मेहनत नहीं करते। ज़्यादा

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सांवैधानिक मूल्यों के प्रसार हेतु अनूठी घुमंतू पुस्तकालय यात्रा

शशांक शेखर: 26 नवंबर, का दिन पूरे देश के लिए किसी राष्ट्रीय उत्सव से कम नहींं होता, इस दिन भारत का संविधान अंगीकृत किया गया

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झारखण्ड में आयोजित युवा समावेश पर रिपोर्ट 

कुमार दिलीप: रोज़गार के संवैधानिक अधिकार और युवा आंदोलन विषय पर एक-दिवसीय युवा समावेश, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी एवं झारखंड किसान परिषद के संयुक्त तत्वधान में

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