अरविंद अंजुम: “आपने अगर कोई भी निश्चय न किया हो तो इतना निश्चय करें कि सच्चा तो रहना ही है। सच्चे न रहे तो जितनी

युवाओं की दुनिया
अरविंद अंजुम: “आपने अगर कोई भी निश्चय न किया हो तो इतना निश्चय करें कि सच्चा तो रहना ही है। सच्चे न रहे तो जितनी
भयभीत मन मेधावी नहीं हो सकता अरविंद अंजुम: आपकी सोच – समझ में प्रज्ञा क्या है? क्या यह बड़ा ही जटिल प्रश्न नहीं है? प्रज्ञा
अरविंद अंजुम: एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के बाद आज संसद के दोनों सदनों में खेती को कॉरपोरेट को सौंप कर बरबाद करने
अरविंद अंजुम: बेरोज़गार युवा विस्थापित संगठन की ओर से रोज़गार की मांग अब ज़ोर पकड़ने लगी है। ये युवा उन परिवारों की दूसरी पीढ़ी है
अरविंद अंजुम: “मैंने मुख्य दारोगा से कहा कि मेरे बाल और मूंछ कटवा दीजिए। उसने कहा, गवर्नर ने सख्ती से मना किया है। मैंने कहा-
अरविंद अंजुम: आप जानते ही हैं कि पिछले 9 महीने से भी ज़्यादा समय से किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य