जुहेब आज़ाद: बुनकर समुदाय के लोग अपने असाधारण बुनाई कौशल के लिए जाने जाते रहे हैं, भारत के पारंपरिक कपड़ा उद्योग की समृद्ध विरासत का

युवाओं की दुनिया
जुहेब आज़ाद: बुनकर समुदाय के लोग अपने असाधारण बुनाई कौशल के लिए जाने जाते रहे हैं, भारत के पारंपरिक कपड़ा उद्योग की समृद्ध विरासत का
अमित: हमारे पड़ोसी के दो बेटे राहुल और शिवम अपनी तीन बकरियाँ हमारे खेत के किनारे चरा रहे थे। मैं उनके पास गया तो था,
चित्तौड़गढ़ में शंभू लाल भील, स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ पाने हेतु अति गरीब लोगों को शासकीय सेवाओं से जोड़ने के प्रयास में लगे हुए हैं।
ब्रजेश कुमार निराला: मेरा जन्म 1 जनवरी 2005 को बिहार के गया ज़िले के गम्हरिया गाँव में हुआ था। मेरे पिता का नाम मिथिलेश कुमार
फरीद आलम: शाॅर्ट फिल्म “पंडित उस्मान” से व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता-अखण्डता को विकसित करने वाली बंधुता की समझ का प्रयास। अकरम हसन
मनीषा शहारे: नांगलडोह गाँव, महाराष्ट्र के गोंदिया ज़िले के अर्जुनी मोरगाँव तालुका में आता है। यह गाँव 10 किमी दूर स्थित भरनोली गाँव की ग्रामपंचायत