महेश हेम्ब्रम: उठो जागो और तब तक मत रुकोजब तक काम पूरा न हो जाए। जब तक किसी काम को… READ MORE
लाल प्रकाश राही : हम पौधे और बीज लगाते है, वे शाखाएं लगाते हैं,हम धान रोपते हैं और फसल उगाते… READ MORE
मानस भारद्वाज: अब जब जंग का वक़्त चल रहा हैमैं प्यार की बात कर रहा हूँमैं एक सैनिक हूँ…जब कोई… READ MORE
वंदना टेटे: डेमटा की चटनीऔर छिलका रोटीलेकर हम बैठे हैं आबातुम्हारे साथ खाने के लिएआओ आओजब तक कि तीर बन… READ MORE
अभिषेक: मुझे अपने शादीशुदा दोस्तों के घर जाना,अच्छा नहीं लगता।इसलिए नहीं कि वो अब मेरे अच्छे दोस्त नहीं रहे,इसलिए भी… READ MORE
ज्योति लकड़ा: आज भी याद है मुझे आजी की वो कहानियाँ जिनमें टंगे होतेपेड़ों पर प्राणयह जानते हुए भी ….कटते… READ MORE
संदीप कुमार: मुझे जो अ से ज्ञ तक आता है,उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है।मैंने जीवन में जो… READ MORE
युवानिया पत्रिका, युवाओं को उनकी सोच को कलमबद्ध करने का एक मंच देने का प्रयास है। इस पत्रिका के माध्यम से हम मुख्यतः युवा मन के विचारों को सामने लाना चाहते हैं। साथ ही आस-पास के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृष्य पर युवाओं के विचारों को भी साझा करना चाहते हैं।
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