जीतेन्द्र माझी द्वारा लिखित और राजू द्वारा संपादित: भारत में प्राचीनकाल से ही असमानताएं रही हैं – लिंग, जाति और धर्म के आधार पर। मुख्य

युवाओं की दुनिया
जीतेन्द्र माझी द्वारा लिखित और राजू द्वारा संपादित: भारत में प्राचीनकाल से ही असमानताएं रही हैं – लिंग, जाति और धर्म के आधार पर। मुख्य
प्रेरणा: ऊंच-नीच, छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव आज भी समाज में देखने को मिल जाता है। समाज का सारा ठेका इन तथाकथित ऊंची जाति वाले
जेरोम जेराल्ड कुजूर: आज भी हमें डर है।हमारी ज़मीन पर,हम खुशहाल थे,धान, मडुवा, गोंदली, मकई सेलहराते थे हमारे खेत,देख हम सभी,संग झूमते- नाचते थे अखरा
बीना कुमारी दंडपाट: सबे सुना रे, रोजी-रोटी हमर अधिकारअरे दीदी भैयामान, रोजी-रोटी हमर अधिकार हर हाथे काम रहे, कोई न बेकार रहे – 2सबे सुना