शुभम:

समाज कार्य के अंतिम सेमेस्टर में मुझे एक प्रकरण लिखने का मौका मिला। प्रकरण की थीम थी- बुजुर्गों की मनोसामाजिक स्तिथि। प्रकरण लिखने के लिए मैंने 100 वृद्ध लोगों से बात की और प्रश्नावली बनाके उनसे सवाल किए। ये सभी सवाल उनकी मानसिक और सामाजिक स्तिथियों को जानने के लिए बनाए थे। 

पृष्ठभूमि: वृद्धावस्था, स्वास्थ्य आवश्यकताओं के साथ-साथ मनोसामाजिक आवश्यकताओं के संबंध में मानव जीवन के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस अध्ययन में वृद्धावस्था के अत्यंत महत्वपूर्ण पहलुओं का पता लगाया गया है। अयोध्या-फैजाबाद ज़िले में समान पहलुओं पर बहुत कम अध्ययन हुए हैं। वर्तमान अध्ययन बुजुर्ग आबादी द्वारा सामना किए जाने वाली मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी और मनोसामाजिक समस्याओं के बारे में ज्ञान के अंतर को भरने का एक प्रयास था।

उद्देश्य: वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों के स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल और मनोसामाजिक पहलुओं का अध्ययन करना।

सामग्री और तरीके: अयोध्या-फैजाबाद ज़िले (उत्तर प्रदेश) में वृद्धाश्रमों में वृद्ध व्यक्तियों (50 वर्ष और उससे अधिक) के सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलुओं और मनोसामाजिक समस्याओं पर एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया था।

परिणाम: अयोध्या-फैजाबाद जिले में नौ वृद्धाश्रमों में रहने वाले कुल 100 बुजुर्गों का साक्षात्कार लिया गया और उनकी जांच की गई। अध्ययन की आबादी में, 42% पुरुष थे और 58% महिलाएं थीं। अधिकांश बुजुर्ग 3-10 साल (59.60%) से वृद्धाश्रम में रह रहे थे। इसके अलावा, उनके बीच वृद्धाश्रमों में जाने का सबसे आम कारण पारिवारिक संघर्ष (45.60%) था। अधिकांश बुजुर्गों में सामान्य और अधिक वजन वाले बॉडी मास इंडेक्स थे और पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने अधिक वजन के पैटर्न दिखाए थे। इस अध्ययन में बुजुर्गों के जोड़ों में दर्द (47.40%), दृष्टि-दोष (39.20%), अनिद्रा (28.00%), कमज़ोरी (23.20%), और स्मृति-दोष (23.20%) होने के पांच सामान्य लक्षण सामने आए। इस अध्ययन के अनुसार बुजुर्ग आबादी की स्वास्थ्य समस्याएं बहुत ही चिंता का विषय हैं। बुजुर्गों में पाई जाने वाली प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं एनीमिया, मधुमेह, मोतियाबिंद, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग, अस्थमा और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस थी।

निष्कर्ष: अधिकांश बुजुर्ग अपने परिवार के सदस्यों द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं। दो-तिहाई वृद्धाश्रमों में नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा थी। अधिकांश बुजुर्गों को उच्च रक्तचाप और जोड़ों का दर्द सबसे आम शिकायत के रूप में था।

इन वृद्ध आश्रम में कई सरकारी सेवाएं भी मौजूद होती हैं, लेकिन इनका ज़्यादा फायदा वृद्ध आश्रम चलाने वालों को मिलता है। पुलिस के कई अफसर भी इन आश्रमों में अक्सर विज़िट पर आते हैं, और कुछ दिनों पहले एक नए एस.पी. ने महिलाओं को एक कैरम बोर्ड दिया था। मेरा कार्य पूरा हो जाने के बाद कुछ महिलाओं ने मुझसे हिन्दी और मराठी की किताबों की भी मांग की, वह अपने आश्रम में एक पुस्तकालय चाहती हैं। सविता नाम की एक दादी ने अंबेडकर बाबा को 1956 में नागपुर में देखा था और बदलाव के दृश्य को काफी हिम्मत देने वाला बताया। सविता दादी नागपुर की ही हैं और अपने परिवार से तालमेल नहीं बनने के कारण वृद्ध आश्रम में आकार रह रही हैं। एक सवाल मैंने पूछा था कि आपके हिसाब से बुढ़ापा क्या है? तो सविता दादी  का जवाब आया, “जब हम सीखना बंद कर दें या सीखने से बचे तो हमे ये मान लेना चाहिए की हम बूढ़े हो गए हैं।”

फीचर्ड फोटो प्रतीकात्मक है। फोटो आभार: isrgrajan.com

Author

  • शुभम / Shubham

    शुभम, उत्तर प्रदेश से हैं और सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़े हैं। वह अवध पीपुल्स फोरम के साथ जुड़कर युवाओं के साथ उनके हक़-अधिकारों, आकांक्षाओ, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर काम करते हैं।

One response to “फ़ैज़ाबाद में बुजुर्गों की मनोसामाजिक स्तिथि पर संक्षिप्त रिपोर्ट”

  1. Vikash Kumar Avatar
    Vikash Kumar

    मौजूदा दौर में वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की समस्यायों को संजीदगी से पेश करता यह संक्षिप्त रिपोर्ट. धन्यवाद शुभम

Leave a Reply

Designed with WordPress

Discover more from युवानिया ~ YUVANIYA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading