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सत्यम श्रीवास्तव: आज़ादी का अमृत महोत्सव चारों दिशाओं में अपनी अनुपम छटा बिखेर रहा है। देश तिरंगामय है और समस्त… READ MORE
आर.टी.जे.डी: हम तो दीवाने रहे हैं किताबों केजानें कैसे रहे हैं बिन पढ़ेन रह सकेंगे बिन पढ़े।इंतज़ार है उस घड़ी… READ MORE
विनोद: कौन कहता है कि आज़ाद हैं हम, यकीं मानो आज भी गुलाम हैं हम। कभी अंग्रेजों के तो कभी… READ MORE
इंदु सिंह: आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर यदि आज का युवा यह सोचने पर मजबूर है कि ‘वह वास्तव में… READ MORE
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जंग हिन्दुस्तानी: मातादीन को इस बार इस बात का बहुत दुख था कि वह ताजियादारी नहीं कर पाएंगे। घरेलू समस्या… READ MORE
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अखिलेश: मनरेगा के काम में मजदूरों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लिखित में काम मांगने के बावजूद… READ MORE
सिद्धार्थ: 9 अगस्त को भारत सहित दुनिया भर में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। लेकिन आदिवासी हैं कौन? ट्राईबल, इंडिजीनियस,… READ MORE
देवानंद बोयपई: आदिवासी शब्द को तोड़कर देखें तो, आदि+वासी – यानि जल जंगल और ज़मीन पर आदि काल से निवास… READ MORE
युवानिया डेस्क: ओड़िशा आदिवासी चेतना संगठन द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर प्रस्तुत किया गया एक गीत आदिवासी चेतना… READ MORE
पतिचरण मुर्मू: आदिवासी संताड़ सामाज कहानी।आबो संताड़ को ताहेंकाना राजा, रानी ।।ताहेंकाना को किसकू समाज।दिशोमरे ताहेंकाना अनकुवाः राज।।ताहेंकाना आबोवाः चाईगाड़।ताहेंकाना… READ MORE
युवानिया पत्रिका, युवाओं को उनकी सोच को कलमबद्ध करने का एक मंच देने का प्रयास है। इस पत्रिका के माध्यम से हम मुख्यतः युवा मन के विचारों को सामने लाना चाहते हैं। साथ ही आस-पास के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृष्य पर युवाओं के विचारों को भी साझा करना चाहते हैं।
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