सत्यम श्रीवास्तव: आज़ादी का अमृत महोत्सव चारों दिशाओं में अपनी अनुपम छटा बिखेर रहा है। देश तिरंगामय है और समस्त देशवासियों का अपने देश के

युवाओं की दुनिया
सत्यम श्रीवास्तव: आज़ादी का अमृत महोत्सव चारों दिशाओं में अपनी अनुपम छटा बिखेर रहा है। देश तिरंगामय है और समस्त देशवासियों का अपने देश के
आर.टी.जे.डी: हम तो दीवाने रहे हैं किताबों केजानें कैसे रहे हैं बिन पढ़ेन रह सकेंगे बिन पढ़े।इंतज़ार है उस घड़ी काजो इंतजार कर रही है।हम
विनोद: कौन कहता है कि आज़ाद हैं हम, यकीं मानो आज भी गुलाम हैं हम। कभी अंग्रेजों के तो कभी जमींदारों के, ये रोज़-रोज़ इस्तेमाल
इंदु सिंह: आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर यदि आज का युवा यह सोचने पर मजबूर है कि ‘वह वास्तव में आज़ाद है या नहीं” तो
जंग हिन्दुस्तानी: मातादीन को इस बार इस बात का बहुत दुख था कि वह ताजियादारी नहीं कर पाएंगे। घरेलू समस्या और पैसे की तंगी के
अखिलेश: मनरेगा के काम में मजदूरों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लिखित में काम मांगने के बावजूद उन्हें सही समय पर काम