मनीषा शहारे: हमारे समाज में हर समुदाय के लोग रहते हैं, हर समुदाय की अलग-अलग रूढ़ियाँ होती हैं, और पुराने लोगों से चली आती ये

युवाओं की दुनिया
मनीषा शहारे: हमारे समाज में हर समुदाय के लोग रहते हैं, हर समुदाय की अलग-अलग रूढ़ियाँ होती हैं, और पुराने लोगों से चली आती ये
विकास कुमार: वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता दशरथ जाधव दो दशकों से अधिक समय से महाराष्ट्र के लातूर ज़िले में काम कर रहे हैं। वे लंबे समय
मनीषा शहारे: सरिता, पांडुटोला गाँव की लड़की थी, 2004 में कन्हाल गाँव में उसकी शादी हुई। सरिता को सब सरु बोलते थे। सरिता के ससुराल
यह कविता पावरी भाषा में लिखी गयी है। यह भाषा पश्चिम मध्य प्रदेश और उससे लगे महाराष्ट्र के भील, पावरा आदिवासियों द्वारा बोली जाती है।शहरों
शिवांशु: पिछले दिनों मैं फिल्म देखने के क्रम में था उस दौरान मुझे खोजते हुये एक मराठी फिल्म मिली नाम था “कोर्ट” मैंने वो फिल्म
दीपक काम्बले: लातूर जिल्ह्यातील जळकोट सलुक्यातील खेलदरा या गावाचे गरीब कुंटुंब प्रकाश रावण, पत्नी सोनाली प्रकाश गोन्टे महाराष्ट्राला लागून असलेल्या जवळच्या कर्नाटक राज्यात ऊस तोडीरखठी