यह किताबों को कंठस्थ करने का समय है: कविता

मनीष आज़ाद: यह किताबों को कंठस्थ करने का समय हैक्योंकि किताबों को जलाने का आदेश कभी भी आ सकता हैतानाशाह को पता हैभविष्य जलाने के

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पढ़ने की उम्र में पेट पालने की मजबूरी

कमलजीत कौर:   “हुर्रर्रर्र… हेहेहेहे…हौ…हेहेहेहे…हौ…” सूरज ने डरावनी सी आवाज़ निकाली और देखते ही देखते बाग़ से भागते पक्षियों ने आसमान भर दिया। सूरज नाशपाती के

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मेरी डायरी : मानव-मूत्र यानि पेशाब की उपयोगिता

अंकुश गुप्ता: कूड़े की समस्या को समझते हुए मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग पदार्थ कूड़े में जमा होते हैं।

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खाद्य (महुआ/मड़ुआ) एवं औषधीय प्रशिक्षण:

कोर्दुला कुजूर झारखंड स्थित महुआडांड़ प्रखण्ड के पाठ आम्रगामी महिला संघ के तत्वावधान में, दिनांक 27 से 29 मई 2023 तक खाद्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का

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मैं झूठ त्यागकर नास्तिक हूँ – कविता 

डॉ. नेरन्द्र दांभोळकर: मूर्तियाँ पूजने के बजायमैं मानव पूजता हूँकृत्रिम देवों को न मानकरमैं फूले-शाहू-अंबेडकर को पढ़ता हूँमैं छाती ठोककर कहता हूँमैं झूठ त्यागकर, नास्तिक

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