पहाड़ों में हैं गाँव सूने, तुम चले हो जश्न मनाने? – कविता

गोपाल लोधियाल: पहाड़ों में हैं गाँव सूने, तुम चले हो जश्न मनाने?जो पीड़ा थी तब हिया में, वही आज भी मेरे हिया में। 23 साल

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आखिर ये झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग आते कहाँ से हैं?

गोपाल लोधियाल:  सवाल यह है कि ये झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग, आखिर कहाँ से आते हैं? क्या यह बारिश के साथ आसमान से टपकते

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उत्तराखंड के हेलंग में घस्यारी से घास छीनती पुलिस

गोपाल लोधियाल : उत्तराखंड के चमोली जिले में जहाँ से अलकनंदा बह रही है, इसके सिरहाने पर बसे हुए हेलंग गाँव के लोग आजकल अपने

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उत्तराखंड में अंधविश्वास की स्थिति

गोपाल लोधियाल:  उत्तराखंड में अंधविश्वास की स्थिति का अगर विश्लेषण किया जाए तो अंधविश्वास लगातार फल-फूल रहा है और इस धंधे में लगे हुए लोग

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मैं गांव हूं – एक कविता

गोपाल लोधियाल: मैं गांव हूं,  तुम चले गए थे मुझे छोड़कर, मुझे औने-पौने दाम में बेचकर। मैंने सदियों पाला था तुम्हें,  जब तुम गए कह

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लगातार खतरे में जीने को मजबूर हैं उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के लोग

गोपाल लोधियाल: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके बहुत संवेदनशील हैं। पहाड़ों में स्थानीय लोग पेड़, पौधों, पर्वतों, नदी आदि को देव-देवताओं के रूप में मानते हैं

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