कोर्दूला कुजूर: महिलाओं के लिए संभावनाएँ और चुनौतियाँ समाज में एक महत्वपूर्ण विषय है। महिलाएँ के लिए अब अपने जीवन में नयी ऊंचाइयों को छूने
Author: कोर्दुला कुजूर / Cordula Kujur
कोर्दुला कुजूर आदिवासी एक्टिविस्ट हैं और रांची, झारखंड में रहती हैं। महिलाओं और बच्चों के सवालों पर वह लंबे समय तक काम करते आ रही है और झारखंडी आदिवासी वुमेन्स एसोशियन शुरुआत करने में प्रमुख भूमिका निभाई हैं। साथ ही झारखंडी आदिवासियों के भाषा आंदोलन के सहभागी बनकर कुड़ुख भाषा को बचाए रखने का महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आयी हैं।
नगेसिया समुदाय का खाद्य इतिहास
कोर्दूला कुजूर: नगेसिया समुदाय का मुख्य बसाहट अधिकतर पहाड़ों के ऊपर याने पठारी भाग में है। भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मैदानी भाग की
महिला किसान : पहचान एवं अधिकार (चुनौतियां एवं संभावनाएं)
कोर्दुला कुजूर: भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। हम यह भी कह सकते हैं कि कृषि,
आदिवासी कला एवं उनके सौंदर्य बोध
कोर्दूला कुजूर: एक व्यक्ति को सम्पूर्ण होने के लिए उनके अन्दर सौन्दर्य बोध का होना अनिवार्य है। क्योंकि उसके बिना उनका जीवन खोखला (अधूरा) है।
खाद्य (महुआ/मड़ुआ) एवं औषधीय प्रशिक्षण:
कोर्दुला कुजूर झारखंड स्थित महुआडांड़ प्रखण्ड के पाठ आम्रगामी महिला संघ के तत्वावधान में, दिनांक 27 से 29 मई 2023 तक खाद्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का
फागुन पूर्णिमा के दिन ऐसे मनाया जाता है उरांव समाज में फग्गू का त्यौहार
कोर्दूला कुजूर: हमारे यहाँ उरांव आदिवासी समाज में होली का त्यौहार तो नहीं मनाया जाता है, लेकिन उसी दिन अर्थात फागुन पूर्णिमा के दिन ‘फग्गू