होली के मौके पर एक अनूठी पहल: असल में ‘काले सफेद’ ही  जिंदगी में रंग भरते हैं

एन रघुरामन: 

भारत के किसी भी हिस्से की तरह, 8 मार्च को इस गांव की फिजाओं में भी रंग होगा। ढोल की थाप गूंजेगी, हवा पकवानों की खुशबू से महकेगी। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के जिला मुख्यालय से 200 किमी दूर स्थित माणगांव में यह सब होगा, लेकिन यहाँ की शाम कुछ अलग होगी। यहां एक नियम लागू हो जाएगा, जिसका पालन करीब 30,000 घरों में रहने वाली 1.5 लाख की आबादी के लिए जरूरी होगा। यह देश के उन गावों में शामिल है, जहां महिलाओं की आबादी पुरुषों से ज्यादा है। शुरुआत में यह नियम स्वेच्छिक है और हर परिवार को पांच मौके दिए जाएंगे। इसके बाद ग्राम पंचायत, पालन न करने वालों का संपत्ति कर कर जुर्माना वसूलेगी।

पर यह नियम है क्या? अगर पूरे देश में यह लागू हो जाए तो समाज को बहुत फायदा हो सकता है। यह नियम है, ‘कल की जरूरत’ (काळाची गरज)। गैजेट की लत के खिलाफ इस नियम को लागू करने का फ़ैसला, ग्राम पंचायत ने 26 जनवरी को सर्वसम्मति से लिया था। नियम के तहत शाम को 7 बजे से रात 8.30 बजे तक सभी फोन और टीवी बंद रखे जाएंगे और किताबें पढ़ने और परिवार के सदस्यों के साथ बातें करने की आदत को बढ़ावा दिया जाएगा। गांव वालों को लगता है कि गैजेट की लत से छुटकारा पाने के लिए यह आसान नियम है।

पश्चिमी महाराष्ट्र के माणगांव का इतिहास में खास स्थान है। यहां डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर और छत्रपति शाहू महाराज ने 21 मार्च 1920 को अस्पृश्यता के खिलाफ फैसला लिया था। इसको दमन की प्राचीन परंपरा को तोड़ने का प्रस्ताव लाने के लिए भी जाता है। इस साल 8 मार्च को पंचायत कार्यालय नया नियम याद दिलाने के लिए तीन मिनट तक साइरन बजाएगा। यह आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। पंचायत सदस्य और स्वयंसेवक में घूम-घूमकर पढ़ने और परिवार से बात करने का प्रचार करेंगे। केवल वाले को पहले हो प्रसारण रोकने का निर्देश दिया गया है। जिन घरों में डीटीएच कलेक्शन है, उन्हें नियम का पालन करने की सलाह दी गई है। चूंकि गांव में महिलाएं ज्यादा हैं, जो बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहती हैं, इसलिए गांव के सरपंच राम मदम को विश्वास है कि होली से इसकी शुरुआत होगी।

काइजन, जिसका अर्थ ‘अच्छा बदलाव’ होता है, बुरी आदतों से मुक्त होने का मददगार तरीका साबित हुआ है। यह आदतों को बदलने की जापानी विधि है- एक बार में एक कदम। इसमें एक बार में बड़ा बदलाव करने की बजाय, बेहतरी के लिए छोटे-छोटे कदम उठाए जाते हैं, जिससे आदत पूरी तरह बदल जाती है। अगर आपको लगता है कि फ़ोन से आपका रिश्ता हानिकारक हो गया है, तो उदाहरण के लिए आप सोशल मीडिया ऐप डिलीट करने से शुरुआत कर सकते हैं या इन्हें सिर्फ डेस्कटॉप पर इस्तेमाल करने का नियम बना सकते हैं। अगर ऐसा करना बड़ा कदम लग रहा है जो इन ऐप को छिपे हुए फ़ोल्डर में रखें, ताकि ये होम स्क्रीन पर न दिखें।

इसी तरह जापानी विधि शिनरिनयोकू (वन स्नान) खुद को प्रकृति में सराबोर करने का तरीका है, जिसमें सभी इंद्रियां इस्तेमाल होती हैं। जैसे पत्तियों की सरसराहट सुनना, मिट्टी की खुशबू सूंघना। इससे तनाव कम और मूड बेहतर होता है।

फंडा यह है कि अगर आप जिंदगी में कुछ रंगीन हासिल करना चाहते हैं, तो ‘काले-सफ़ेद’ रास्ते पर चलें और देखें कि कैसे रंगों का लुत्फ लिया जा सकता है। आप सभी को होली की अग्रिम शुभकामनाएं।

6 मार्च 2023 को दैनिक भास्कर पर पूर्व में प्रकाशित।  

फीचर्ड फोटो प्रतीकात्मक है।

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