गोपाल पटेल:
मैं परीक्षा हूँ, परायों की इच्छा हूँ, लोग मेरी इच्छा करते हैं। मुझे पाने की ओर, जिद्दजहत करते हूँ, मैं परीक्षा हूँ, परायों की इच्छा हूँ। दिन हो या रात मुझे पाने की इच्छा रखते हैं, मैं परीक्षा हूँ, परायों की इच्छा हूँ। मेरा कोई स्थायित्व नहीं, मैं कब किसकी हो जाऊं, कहा नहीं जा सकता, मैं परीक्षा हूँ, मैं परायों की इच्छा हूँ। जिसने मुझे पाया, वह सफल कहलाया, जिसने मुझे खोया, वह असफल कहलाया। मैं परीक्षा हूँ, मुझे पाने की चाहत, हर मुसाफ़िर रखता है। मैं परायों की इच्छा हूँ, मैं परीक्षा हूँ।
फीचर्ड फोटो आभार: द डेक्कन हेरल्ड