दुलिचंद:
मेरा नाम दुलिचंद है, मैं राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के झिरी गाँव का रहने वाला हूँ। हमारे गाँव के सरकारी विद्यालय में समय पर अध्यापकों का नहीं आना, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों के साथ जाति आधारित भेदभाव बहुत आम था और पढ़ाई का स्तर भी अच्छा नहीं था। फिर हमारे गाँव में सब लोगों ने मिलकर, कुछ पैसे इकट्ठा करके एक विद्यालय खोला, जिसका नाम मंथन शिक्षण संस्थान है। इस विद्यालय में सभी जाति के बच्चे पढ़ने आते हैं, और वहाँ पर सभी अध्यापक मन लगाकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवेंद्र जी हैं, जिन्होंने बहुत सहयोग दिया है, साथ ही वह बाहर से भी आर्थिक मदद जुटा पाते हैं, जिससे मंथन स्कूल के बच्चों की फीस बहुत कम है। यहाँ लड़कियों को फ्री में पढ़ाया जाता है, क्योंकि फीस ज़्यादा होने की वजह से लोग अक्सर लड़कियों को पढ़ाना नहीं चाहते। हमने गाँव के लोगों को समझाया कि लड़के तो कहीं भी पढ़ लेते हैं और माता-पिता उनको शहरों में भी पढ़ने भेज देते हैं, पर लड़कियों को कोई घर से बाहर नहीं भेजता, जिससे गाँव की लड़कियाँ अनपढ़ रह जाती हैं। उनको शिक्षित करने के लिए यह विद्यालय खोला गया है।
मंथन स्कूल में अभी कुल 80 बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें से 60 लड़कियाँ हैं। यहाँ बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग से हों। यहाँ सभी को एक समान समझा जाता है। विद्यालय में एक पुस्तकालय, एक प्रयोगशाला और एक खेल का मैदान है, जिसमें बच्चों के लिए रोज़ाना एक घंटा खेलने का समय तय है। यहाँ खो-खो, कबड्डी आदि खेल खिलाए जाते हैं, जिससे बच्चों का शरीर स्वस्थ रहे। पुस्तकालय में कई प्रकार की रोचक किताबें हैं, जिन्हें बच्चे बड़े चाव से पढ़ते हैं। प्रयोगशाला में कई तरह के प्रयोग करके दिखाए जाते हैं ताकि बच्चों में विज्ञान के प्रति समझ बन सके।
स्कूल के बच्चों को पिकनिक के लिए भी बहुत दूर-दूर तक ले जाया जाता है, जिससे बच्चों में अपने आस-पास की प्रकृति को देखने-समझने का मौका मिलता है और आनंद भी मिलता है। हमारे विद्यालय में बच्चों को छुट्टी के बाद दलिया, दूध, चावल आदि दिया जाता है, जिससे बच्चे में कुपोषण न रहे और दिमाग भी विकसित हो। इस तरह यहाँ बच्चों के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है।
गाँव से लगभग 1 किलोमीटर दूर पहाड़ियों और पेड़-पौधों के बीच मौजूद मंथन स्कूल में किसी भी प्रकार का शोर नहीं है, इससे सभी बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगा रहता है। इस विद्यालय में सभी प्रकार की ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहाँ से पढ़ कर निकले कुछ बच्चे सरकारी नौकरी पर भी लगे और कुछ प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। विद्यालय के आसपास का वातावरण एकदम स्वच्छ और शुद्ध है। यह आस-पास के गरीब लोगों, मज़दूरों, किसानों और दलित बच्चों के लिए सबसे अच्छा विद्यालय है, जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। सभी एकसाथ मिलजुल कर पढ़ाई करते हैं और पढ़ाते हैं। अभी इस विद्यालय में देवेंद्र जी, हीरालाल जी, वीरम चंद, मैं (दुलीचंद) और विष्णु कुमारी अध्यापक के रूप में पढ़ाने जाते हैं।
मंथन के बारे में और जानने के लिए नीचे साझा विडियो को देख सकते हैं: