जौनपुर में आयोजित लेखन कार्यशाला में बच्चों ने लिखे कोरोना महामारी पर लेख

कोरोना महामारी से शिक्षा पर पड़ने वाला प्रभाव

प्रिया कुमारी; कक्षा 8:

कोरोना महामारी से शिक्षा एवं शिक्षण पद्धति पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा। कोरोना महामारी  के कारण सभी विद्यालय बंद हो गए। विद्यालय बंद हो जाने के कारण सभी छात्र एवम् छात्राओं में पढ़ाई के प्रति रुझान कम हो गया। जिसके कारण अभिभावक गण बहुत चिंतित होने लगे। बहुत शिकायतों के बाद सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा पद्धति पर ज़ोर दिया। लेकिन तब अभिभावकों के सामने एक नयी समस्या आकर खड़ी हो गई, जो थी स्मार्ट फोन। जो छात्र-छात्राएँ गरीब परिवार से संबंध रखते थे, उनके सामने पढ़ाई एक चुनौती बनकर खड़ी हो गई। जिन छात्रों के पास स्मार्ट फोन थे, उन छात्रों की पढ़ाई तो जारी थी लेकिन छात्र पढ़ाई के अलावा कार्टून, फिल्म, गेम, आदि चीजों में भी मन लगाने लगे। इसका परिणाम यह निकला कि छात्र-छात्राएँ अपने मार्ग से भटक गये और अब उनका मन पढ़ाई से हट कर खेल-कूद एवं मनोरंजन में लगने लगा। अतः परिणाम यह निकला कि बच्चे, पढ़ाई से बिलकुल दूर हो गये। उनके अनुशासन में भी बदलाव होने लगा। छात्र एवं छात्राओं के व्यवहार और कार्यशीलता में कमी आने लगी। कोरोना महामारी से बच्चों के जीवन पर गहरा प्रभाव देखने को मिला।

कोरोना महामारी से बढ़ती बेरोज़गारी से होने वाली समस्या

अनन्त यादव; कक्षा 8:

कोविड-19 महामारी ने भारत को इस समय अपने सबसे खराब और सबसे चुनौतीपूर्ण दौर में पहुंचा दिया है। न सिर्फ लोग बीमार हो रहे हैं और मारे जा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराती नज़र आ रही है। एक तरफ महामारी की विकरालता है तो दूसरी तरफ लोगों की दुश्वारियां बढ़ाता रोज़गार पर आया संकट है।

कोरोना के कहर के बीच बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी बढ़ी है, जीवन और रोज़गार के हाहाकार के बीच सरकारों की तरफ से राहत के लिए फिलहाल कोई तात्कालिक नीति नज़र नहीं आती। क्या भारत एक नए संकट की ओर बढ़ रहा है जिसमे जीवन और स्वास्थ्य, भोजन, रोज़गार, पर्यावरण सब कुछ दांव पर लगा है, या यह समय नीतियों की दूरदर्शिता और आपात एक्शन प्लान के दम पर बदला जा सकता है।

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