गोपाल पटेल:
माँ प्रकृति ने पाला मुझे,
संवारा है, बड़ा किया है।
लालन-पालन भी किया तूने,
मुझे इतना प्रेम दिया तूने.. ।
क्या कहूँ तेरी इस रहनुमाई का,
ना जाने कब आएगा वह दिन,
जिस माँ ने हमें सब कुछ दिया
लेकिन हमने उसे क्या दिया !?
वक्त आ चुका है,
प्रकृति को सँवारने का ।
तू संभल जा इंसान…!
अभी तो कुछ कर गुज़रने का,
तेरी इस रहनुमाई की अदायगी दिखाने का,
चलो एक कदम प्रकृति की ओर,
तभी होगा मानवता का कल्याण।।

अति सुंदर कविता मेरे जिगरी यार पटेल सर दिल खुश हो गया है माँ प्रकृति के उपर लिखी गई है जो की मेरे दिल को छा गयी है धन्यवाद भाई पटेल सर जी