युवानिया डेस्क:
जन जागरण शक्ति संगठन (JJSS) असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का एक पंजीकृत ट्रेड यूनियन है। संगठन के युवा साथियों ने जाति व्यवस्था के ऊपर ये गीत गाया है –
सद्गति: यह1981 की हिंदी टेलीविजन फिल्म है, जिसका निर्देशन सत्यजीत रे ने किया है । यह फिल्म मुंशी प्रेमचंद की इसी नाम की एक लघु कहानी पर आधारित है। इसको देखने के लिए यूट्यूब पर जाए –
सुजाता: इस फिल्म के निर्माता व निर्देशक प्रसिद्ध बिमल रॉय थे। यह फ़िल्म भारत में प्रचलित छुआछूत की कुप्रथा को उजागर करती है। इस फ़िल्म की कहानी एक ब्राह्मण पुरुष और एक अछूत कन्या के प्रेम की कहानी है।
इंडिया अनटच्ड: स्टोरीज़ ऑफ़ ए पीपल अपार्ट: यह फिल्म भारतीय फिल्म निर्माता स्टालिन के निर्देशन में 2007 में आई थी। फिल्म दलितों के खिलाफ़ भेदभाव और अत्याचार और भारत के विभिन्न हिस्सों में निहित अस्पृश्यता की प्रथा को प्रकट करती है।
जय भीम कॉमरेड: हजारों वर्षों से, भारत के दलितों से “अछूत” के रूप में घृणा की जाती थी, शिक्षा से वंचित किया जाता था और उनका बंधुआ मज़दूर के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
1997 में मुंबई की एक दलित कॉलोनी में डॉ. अंबेडकर की एक मूर्ति को जूतों से अपवित्र कर दिया गया था। गुस्साए निवासियों के इकट्ठा होते ही पुलिस ने गोली चला दी जिसमें 10 लोग मारे गए। इसके चलते वामपंथी कवि विलास घोगरे ने विरोध में खुद को फांसी लगा ली।
जय भीम कॉमरेड फिल्म को 14 वर्षों में शूट किया गया है, जो विलास जैसे लोगों की कविता और संगीत का अनुसरण करता है, और उस कारण की एक सबाल्टर्न परंपरा को चिह्नित करता है जिसने बुद्ध के दिनों से अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता से लड़ाई लड़ी है।
तीसरी आज़ादी: जब्बर पटेल द्वारा जाति व्यवस्था पर आधारित हिंदी भाषा की फिल्म है जो साल 2006 में आई थी।
बैंडिट क्वीन फूलन देवी के जीवन पर आधारित 1994 की भारतीय जीवनी पर आधारित फिल्म है। यह लेखक माला सेन की किताब इंडियाज बैंडिट क्वीन: द ट्रू स्टोरी ऑफ फूलन देवी पर आधारित है। यह प्रशंसित फिल्म एक सम्मानित अपराधी फूलन देवी के जीवन पर केंद्रित है, जो अंततः एक राजनेता बन गई। फिल्म में उन कठिनाइयों का विवरण दिया गया है, जिनका सामना फूलन ने अपनी युवावस्था में एक निचली जाति की महिला सदस्य के रूप में किया था। कई पुरुषों के हाथों यौन शोषण के अधीन, फूलन के साथ सम्मान के साथ व्यवहार नहीं किया जाता है। इसको देखने के लिए यूट्यूब पर जाए –
जाति व्यवस्था के मुद्दे पर बनी कुछ और फिल्मों की सूची आप नीचे देख सकते हैं।
क्र. | शीर्षक | मीडिया का प्रकार |
1. | मसान (2015) | हिंदी फिल्म |
2. | फैन्ड्री (2013) | मराठी फिल्म |
3. | सैराट (2016) | मराठी फिल्म |
4. | काला (2018) | तमिल फिल्म |
5. | कर्णनन (2021) | तमिल फिल्म |
6. | आक्रोश (1980) | हिंदी फिल्म |
7. | आर्टिकल 15 | हिंदी फिल्म |
इस बार सामाजिक बुराईयों के मुद्दों पर बनी फिल्मों के youtub लिंक साथ ही युवानों के गीत बहुत बेहतरीन है ये फिल्में सामाजिक जातीय बुराईयों को बेहतर तरिके से उजागर करती है।
ऐसे गीत और लघु फिल्में बनाई जानी चाहिए साथ ही पत्र पत्रिकाओं में उसके संबंध में लेख समीक्षाएं भी प्रकाशित होते रहने से जानकारियां बढ़ती है।
जाति व्यवस्था पर आधारित मूवी का चल चित्रण किया गया है इसके माध्यम से जो सामाजिक कुरीतियां इसको बखूबी दिखाया गया है जिससे कि समाज की जो दुर्गति हुई उसके बारे में युवा पीढ़ी जान सके। साथी नवीन विचारधाराओं के साथ और युवाओं की सोच को आगे ले जाने का अनुकरणीय कार्य है जिससे समाज में चल रही बुराई को खत्म किया जा सकता है आज भी आधुनिक समाज में कुछ मानसिक और रूढ़िवादी सोच के कारण ऐसी विडंबना बनी हुई है सभी युवा साथियों से अनुरोध है कि इस मूवी को एक बार जरूर देखिए साथ ही इस पत्रिका के माध्यम से जो फिल्म आपके समक्ष उपलब्ध कराई गई इसको एक बार जरूर देखिए।
🙏पत्रिका के सभी संपादको को बहुत-बहुत धन्यवाद🙏