पावनी:
छूना है आसमान,
उन उड़ते परिंदों की तरह,
मुझे भी एक दिन..।
उन छोटी-बड़ी मछलियों की तरह,
देखनी है सागर की गहराइयाँ,
मुझे भी एक दिन..।
उन छोटे-बड़े आवारा कुत्ते-बिल्लियों के साथ,
करना है पूरे गाँव का सफ़र,
मुझे भी एक दिन..।
उन ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों की तरह,
हरियाली पहने हुए,
खड़ा रहना है,
मुझे भी एक दिन..।
हिमालय की चोटियों से निकलकर,
बहना है गली-गाँवों से,
और करना है सागर तक का सफ़र
मुझे भी एक दिन..।
उन बारिश की बूंदों की तरह,
छूना है प्रकृति को,
मुझे भी एक दिन..।
एक दिन की प्रकृति बनके,
बस एक दिन की प्रकृति बनके,
घूमना है सारा संसार,
मुझे भी एक दिन ..।
