सुरेश डुडवे:
बादल उम्र करीब 8 साल, पैर में टूटी हुई चप्पलें, फटा हुआ टी शर्ट और लगभग उसी हालत में उसकी पैंट। मुंह में तंबाकू थी उसके।
मैंने सवाल पूछा- “स्कूल जाते हो?”
उसने जवाब दिया- “हां जाता हूं। लेकिन स्कूल पिछले एक साल से बंद है।”
मैंने पूछा, “तुम्हारे मम्मी पापा क्या करते हैं?”
जवाब आया- “ईंट-भट्टे पर काम करते हैं।”
सवाल- “तुमने ये तंबाकू खाना कहां से सीखा?”
उसने कहा- “घर में बड़ी दीदी-भैय्या से, जब वें मुझे तंबाकू लेने भेजते, तो उसमें से मैंने भी निकालकर खाना शुरू कर दिया तब से आदद सी हो गई।”
सवाल- “पिताजी आपको डांटते नहीं?”
उसने कहा- “वो खुद दारू पीकर हमेशा रहता है तो उसे कहां फुर्सत।”
इतना सुनते ही मन में अजीब सा सवाल पैदा हुआ? आज ये आठ साल का बच्चा तम्बाकू जैसे नशीले पदार्थ का सेवन क्यों करने लगा? अगर इसे रोका नहीं गया तो जीवन में और किस-किस प्रकार का नशा करने लगेगा? इसका ज़िम्मेदार कौन है? उसके माता-पिता या उसका समाज? मैंने व मेरे कुछ साथियों ने उसे समझाया कि कल से तुम नशा करना छोड़ देना। अगर नशा करोगे तो तुम्हारा शरीर खराब हो जाएगा। उसने वादा किया कि ठीक है भैय्या कल से तंबाकू खाना छोड़ दूंगा। मैं सोच ही रहा था कि क्या बादल में सुधार आएगा और अगले ही दिन वह मुझे मिल गया और बोला- “भैया मैंने तंबाकू छोड़ दी है।” उसकी ये बात सुनकर अच्छा लगा। अब देखतें हैं क्या वाकई में वह अब उसके जीवन में, नशीलें पदार्थों का सेवन नहीं करेगा?
फीचर्ड फोटो आभार: फ्लिकर

आदरणीय सुरेश डुडवे जी
तम्बाकू जैसे लत के बारे में आपने बखूबी इसका विवरण प्रस्तुत किया है वर्तमान की जो स्थिति के बारे में अवगत कराएं बेरोजगारी आर्थिक असमानता इन चीजों के कारण आज ग्रामीण के दूर सुदूर इलाकों में छोटे-छोटे बच्चे तंबाकू का सेवन करते हैं यह हमारे लिए दुखद घटना है इस घटना के ऊपर प्रकाश डालने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार ।