प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा,
प्रकृति से ही जीवन है, तो उसे मनाना पड़ेगा।
संघर्ष से ही जीत है, तो उसे भिड़ना पड़ेगा,
परिवार से ही पावर है, तो उसे हँसना पड़ेगा।
मेहनत से ही मुकाम है, तो उसे पढ़ना पड़ेगा,
अहंकार से ही बर्बादी है, तो उसे रोना पड़ेगा।
प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा,
प्रकृति से ही जीवन है, तो उसे मनाना पड़ेगा।
संस्कृति से ही सु:ख है, तो उसे संभालना पड़ेगा,
संस्कृति से ही जीवन है, तो उसे सजाना पड़ेगा।
मोहब्बत से ही संसार है, तो उसे फैलाना पड़ेगा,
फर्ज से ही देश है, तो उसे निभाना पड़ेगा।।
प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा,
प्रकृति से ही जीवन है, तो उसे मनाना पड़ेगा।।
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है, तो उसे सिखाना पड़ेगा,
आपके काम से ही पहचान है, तो उसे बढ़ाना पड़ेगा।
हवा में ही ज़हर है, तो उसे मिटाना पड़ेगा,
मीडिया में ही नफरत है, तो उसे हटाना पड़ेगा।
प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा,
प्रकृति से ही जीवन है, तो उसे मनाना पड़ेगा।
बेवजह घूमने से ही मूर्खता है, तो उसे शर्माना पड़ेगा,
लठ-चांटे मारने से ही बचाव है, तो उसे मारना पड़ेगा।
कोरोना से ही माहामारी है, तो उसे लड़ना पड़ेगा,
घर बैठने से ही जीवन है, तो उसे रहना पड़ेगा।
प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा,
प्रकृति से ही जीवन है, तो उसे मनाना पड़ेगा।
