गुलाबनाग  खुरसेंगा:

संगठित रहेंगे, संघर्ष करेंगे
एकता बनाके आगे बढ़ेंगे

जल हमारा, जंगल हमारा
ज़मीन हमारा, खनिज हमारा
जिस से जुड़ा है, जीवन हमारा
अब हम ना, किसी से डरेंगे

कंकड़, बालू है धड़कन हमारी
पत्थर, चट्टानें हैं, हड्डियाँ हमारी,
झीलों, झरने में बसी है, सभ्यता हमारी,
पेड़, पहाड़, खोह गुफाओं में है रैन बसेरा हमारा 

संगठित रहेंगे, संघर्ष करेंगे
एकता बनाके आगे बढ़ेंगे

महुआ, कंदा, चार, तेंदू, खाके हम पले-बढे हैं
उसके बिना हम अब ना ज़िन्दा रहेंगे 
इन सबसे बनी है, संस्कृति हमारी

बचालो संस्कृति अपनी-अपनी,
संस्कृति बचालो, बोली-भाषा बचालो,
संस्कृति बचेगी, आदिवासी बचेगा,
इसके लिए हम बेधड़क लड़ेंगे।

संगठित रहेंगे, संघर्ष करेंगे
एकता बनाके आगे बढ़ेंगे

संविधान के अनुच्छेद 244(1), (2) को जानो,
संविधान के अनुच्छेद 243 और 19(5), (6) को जानो,
संविधान के अनुच्छेद 13(3) (क) को जानो,
रूढ़ी प्रथा – गाँव व्यवस्था को जानो।

जीतनी है अगर कोई जंग
संगठित हो आदिवासी भाईयों,
जानो हक़-अधिकार को जानो,
पारंपरिक ग्राम सभा / नार बुमकाल को जानो।

संगठित रहेंगे, संघर्ष करेंगे
एकता बनाके आगे बढ़ेंगे
हर तिनके डाली में जान है हमारी
पशु-पक्षियों के साथ रहेना, शान है हमारी
ये तीर, धनुष, भाला, पहचान है हमारी
जीना मरना है माटी के लिए हमारी

माता प्रकृति के हर ज़ख्म को भरेंगे,
जल, जंगल, ज़मीन की रक्षा हम करेंगे,
संगठित रहेंगे, संघर्ष करेंगे
एकता बनाके आगे बढ़ेंगे

जल हमारा, जंगल हमारा
ज़मीन हमारा, खनिज हमारा
जिस से जुड़ा है, जीवन हमारा
अब ना हम किसी से डरेंगे

Author

  • गुलाब नाग / Gulabnag

    गुलाब नाग खुरसेंगा, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले से हैं और सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़े हैं। वह पारंपरिक आदिवासी महासभा संय्युंग-बु-गण्डवाना भारत के साथ जुड़कर स्थानीय मुद्दों पर काम कर रहे हैं।

    Gulab Nag Khursenga

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