अंशू और रोहित के अंतरजातीय प्रेम की कहानी

अभिलाषा श्रीवास्तव और असीम हसनैन: “मेरे कॉलेज की लड़कियाँ बहुत साहसी थी। वे कुछ न कुछ नया करती रहती थी। तो मैंने खुद से कहा

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हम गरीब कैसे बने – 3 : महंगी पड़ी नमला को जुवार!

कुछ सुनी, कुछ आँखों देखी – अस्सी – नब्बे के दशक में पश्चिम मध्य प्रदेश के आलीराजपुर ज़िले में खेडुत मजदूर चेतना संगठ में काम

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मैं अंधेरा बाँटता हूंँ

लाल प्रकाश राही:  मैं अंधेरा बाटता हूँ। सुबह से शाम, दोपहर से रात,हर समय हर जगह, जहाँ देखोगे जिधर देखोगे,मिलूँगा मैं, सिर्फ मैं। संसद से लेकर

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हम गरीब कैसे बने? – 1 : चित्रकूट ज़िले के मवासी आदिवासियों की ज़मीन कैसे छिन गई?

अमित: कान्ता मवासी, ग्राम डाणी टोला, पंचायत पटना खुर्द व राजकुमार यादव, मझगवॉं द्वारा सुनाई गई बात के आधार पर। आदिवासी गरीब कैसे हुए? मैं

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गरीबी और जाति का गहरा रिश्ता

मिथुन:  गरीबी और जाति का बड़ा ही गहरा रिश्ता है, और ऐसा ही रिश्ता है जाति और अशिक्षा का। जहां कुछ जातियों को अन्य जातियों

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