अभिलाषा श्रीवास्तव और असीम हसनैन: “मेरे कॉलेज की लड़कियाँ बहुत साहसी थी। वे कुछ न कुछ नया करती रहती थी। तो मैंने खुद से कहा

युवाओं की दुनिया
अभिलाषा श्रीवास्तव और असीम हसनैन: “मेरे कॉलेज की लड़कियाँ बहुत साहसी थी। वे कुछ न कुछ नया करती रहती थी। तो मैंने खुद से कहा
कुछ सुनी, कुछ आँखों देखी – अस्सी – नब्बे के दशक में पश्चिम मध्य प्रदेश के आलीराजपुर ज़िले में खेडुत मजदूर चेतना संगठ में काम
लाल प्रकाश राही: मैं अंधेरा बाटता हूँ। सुबह से शाम, दोपहर से रात,हर समय हर जगह, जहाँ देखोगे जिधर देखोगे,मिलूँगा मैं, सिर्फ मैं। संसद से लेकर
अमित: कान्ता मवासी, ग्राम डाणी टोला, पंचायत पटना खुर्द व राजकुमार यादव, मझगवॉं द्वारा सुनाई गई बात के आधार पर। आदिवासी गरीब कैसे हुए? मैं
मिथुन: गरीबी और जाति का बड़ा ही गहरा रिश्ता है, और ऐसा ही रिश्ता है जाति और अशिक्षा का। जहां कुछ जातियों को अन्य जातियों