नेता जी क्या हुआ आपको – कविता

विश्वजीत नास्तिक:

क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
सत्ता के नशे में
भूल गए वादे को

गरीबी हटाएँगे,
बेरोज़गारी हटाएँगे,
युवाओं को नौकरियाँ देंगें
कंपनियाँ लगाएँगे
हं सब भूल गए
क्या हुआ आपको?
सत्ता के नशे में
भूल गए वादे को!

आपके चाल-ढाल देख,
देख लोग हैं तंग
चस्का गद्दी का यह,
यह कैसा चढ़ा रंग।

रेलवे बेचे, एयरलाइंस बेचे
बेच दिए सामूहिक संपत्ति को,
अब बेचने को कुछ नहीं बचा
तो बढ़ा दिए महंगाई को!
अब सच-सच बताओ भी
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?

छात्रों के लहू का चस्का लगा आपको
किसानों के माल का मास्क लगा आपको
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको
अंट-शंट बक रहे हैं जुनून में
शासन का नशा घुसा है खून में
फूस से भी हल्का
समझ लिए जनता के वोट को
नेता जी, नेता जी
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?

सत्ता के नशे में कावड़-बावड़ा हो गए
आतंकवाद के नाम पर कोयले के फैक्ट्री से
लौट रहे मज़दूर को मरवा गए
क्या हुआ आपको?
हम जनता हैं! ऊपर चढ़ाए हैं तो नीचे गिरा सकते हैं।
सत्ता के नशे में भूल गए बाप को?
हं! क्या हुआ आपको?

गरीबी बढ़ा
महंगाई बढ़ा
बढ़ गए किसानों की आत्महत्या की संख्या
अगर और पांच साल आप सत्ता में रहे
तो बढ़ जायेंगे देश की संख्या
नेता जी, नेता जी,
क्या हुआ आपको?
किसानों के खून का नशा चढ़ा आपको?

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