आरज़ू:
यह उत्तर प्रदेश की एक सोलह साल की लड़की की कहानी है। यह सच्ची कहानी है, लेकिन लड़की का नाम बदल कर अनामिका रख देते हैं। अनामिका सात बहनों में से छठे नम्बर पर है। सात बहनों के बाद एक छोटा भाई हुआ। लड़का होने का सामजिक दबाव इतना अधिक था कि अनामिका के पिता ने सोचने की गरज ही नहीं समझी कि आखिर अपने ठेले के भरोसे इतने बड़े परिवार को कैसे पालेगा? हाँ, उसके पापा ठेले पर सामान बेचते हैं। बहुत सालों से वो घर में शराब पीते और झगड़ा करते हैं। जुआ खेलने की भी आदत है। शराब के नशे में अपनी बीबी और बेटी को आए दिन मारते-पीटते हैं। बहुत बार पड़ोसियों नें, मोहल्ले वालों ने समझाया, बीच बचाव किया लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। कुछ साल पहले अनामिका की माँ ने थाने पर रिपोर्ट भी लिखवाई थी। दो-तीन बार ऐसा हुआ है कि थाने पर उन्हें बिठाते हैं, पर पता नहीं कैसे फिर से छूट कर आ जाते हैं। रिपोर्ट लिखवाई, इसलिए और पीटते हैं।
अनामिका के पापा के ठेले से जो कमाई होती है, उससे घर का खर्च पूरा नहीं पड़ता। घर खर्च चलाने के लिए उसकी मम्मी भी घरों में काम करती हैं। घर चलाने में उसकी भागीदारी के बावजूद वो पिटाई सहन करती रहती है। अनामिका की माँ भी मार-पीट से डरी रहती है। हम लोग पूछते हैं कि थाने से क्यों छुड़वा कर ले आई तो कहती है कि आखिर हैं तो मेरे पति ही! माँ और बड़ी बहनें भी कई बार मीटिंग में आती थी। लेकिन घर की बात यहाँ नहीं बताती थीं। डरती थीं कि मोहल्ले वालों को घर की बात पता चलेगी तो हसेंगे और बातें बनायेंगे। एक दो बार मीटिंग में जाने की वजह से भी पिट गए थे। तो मीटिंग में आना बंद कर दिया था।
जिन घरों में माता पिता, दोनों काम करते हैं, वहाँ अक्सर बड़ी बहनें, छोटे भाई-बहनों को संभालती हैं। बड़े होकर बहुत बार ये मनमर्जी करने वाले बन जाते हैं। घर के इस तनावपूर्ण माहौल के कारण अनामिका परेशान रहती थी। छोटी होने के कारण घर में कम रहती, अपने दोस्तों के साथ ज़्यादा रहती और घूमती थी। हमारे युवा समूह के साथ काफ़ी समय से जुड़ी हुई थी। घूमने-फिरने में किसी लड़के के साथ उसकी दोस्ती हो गई। सहेली के घर जाती और वहाँ वो लड़का भी आ जाता और दोनों वहीं दिन भर रहते। ऐसे में इन दोनों के शारीरिक सम्बन्ध हो गए। इस दौरान भी वो हमारे साथ बैठती थी, लेकिन कभी इन सब बातों पर चर्चा नहीं करती थी। हम लोगों का प्रयास रहता है कि हमारे साथ जो भी किशोर-किशोरियाँ जुड़े हैं वे अपने दोस्तों के बारे में बातें ज़रूर साझा करें। लेकिन इस लड़की ने अपनी रिलेशनशिप के बारे में कभी ज़िकर नहीं किया था।
इस संबंध होने के कारण उसे पीरियड मिस होने लगे। वो लड़की पीरियड ना आने का कारण भी नहीं जान पाई। उसको लगा कि उसके पीरियड ऐसी ही मिस हो गए होंगे। घर पर भी नहीं बताया। लेकिन जब तीन-चार महीने पीरियड नहीं आये और उसमें शारीरिक बदलाव होने लगा, तब वह चिंतित हो गई। इन शारीरिक बदलावों को देखते हुए समुदाय मे काफ़ी बातें होने लगीं। कुछ समय तक वो लड़की अपनी प्रेग्नेंसी को नहीं पहचान पाई थी। धीरे-धीरे और समय बीतता गया, जब उसके घर वालों ने इस बदलाव के बारे में पूछा तो वह बता नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है। किसी ज़रिए उसको पता चला कि ये सब शारीरिक बदलवों का कारण प्रेगनेंसी हो सकता है। फिर अनामिका ने अपने घर से निकलना बंद कर दिया। घर वाले परेशान होने लगे, उसको मारे भी, लेकिन तब तक कुछ नहीं हो सकता था। चार महिने से अधिक समय हो गया था, इसके चलते घर वाले उसका ऑपरेशन भी नहीं करा सकते थे।
लड़की के पापा बहुत खतरनाक व्यक्ति हैं, जिससे सभी घर वाले डरते है। उसके पिता को न पता चले इसलिए अनामिका की माँ ने उसे अपने घर से कहीं दूर भेज दिया दिया। कुछ दिन बाद उस लड़के के बारे में पता किया और उसके घर वालों के बारे में भी पता लगाया। जब लड़के के बारे में पता चला, तो घर वालों ने अपनी बेटी को उसी लड़के के साथ भेज दिया और कहा कि ये जो कुछ भी हो रहा है, इसका सामना तुम खुद करोगे, हम इस लड़की और इसके बच्चे की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे। अब अनामिका उसी लड़के के साथ शादी शुदा जोड़े की तरह रह रही है। जब दोनों की उम्र हो जायेगी तो कानूनी प्रक्रिया से शादी कर लेंगे। यह तो ठीक है कि किसी तरह अनामिका का मामला सुलट गया, लेकिन इसमें न फंसती तो अनामिका जैसी तेज़ लड़की कितना कुछ कर लेती। मजबूरी में उसे इतनी कम उम्र में घर गृहस्थी के चक्कर में पड़ना पड़ गया।
युवा-युवतियों के साथ काम के दौरान हम लोग इस तरह की बहुत घटनाएँ सुनते हैं। हमारी कोशिश रहती है कि लड़कियों को हम लोग उनके शरीर के बारे में पूरी जानकारी दें। हम उन्हें सेफ़ सेक्स के बार में भी बताते हैं। जो लड़कियाँ इन सब बातों को समझ जाती हैं, वे ऐसे नहीं फंसती। मोबाइल के कारण लड़के-लड़कियों पर बहुत असर पड़ रहा है। हम लोग लड़कियों को मोटीवेट भी करते हैं कि ज़िन्दगी में कुछ अच्छा करने के लिए काबिल बनना चाहिए। कुछ सुनती हैं, कुछ नहीं।
हम सोचते रहते हैं कि कैसे हम औरतों को इस तरह की मारपीट से बचा सकते हैं और शहर में रहने वाली गरीब लड़कियों को ज़िन्दगी में कुछ करने में मदद कर सकते हैं। क्यों औरतें इतनी मजबूर हो जाती हैं? आदमी भी क्यों इतना शराब पीते हैं? क्यों अपने साथ में रहने वालों को पीटते हैं?
फीचर्ड फोटो प्रतीकात्मक है। फीचर्ड फोटो आभार: hrw.org