मेरी जिंदगी, मेरा फैसला 

धनक संस्था द्वारा साझा की गयी –

भारती बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली 21 साल की लड़की है जिसे पानीपत से जबरन निकाल दिया गया था। वह अपने ही माता-पिता से घरेलू हिंसा का सामना कर रही थी। वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन माँ-बाप द्वारा शादी करने के दबाव के चलते उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उसे खाने के लिए उचित भोजन नहीं दिया जाता था और उसे कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर किया जाता था क्योंकि वह अपने माता-पिता की इच्छाओं को स्वीकार नहीं कर रही थी। उसे अपनी बीमारी के लिए इलाज या दवाइयाँ लेने की भी अनुमति नहीं थी। उसने धनक संस्था के साथ अपने दु:खों के बारे में एक लिखित बयान साझा किया।

उसका पत्र मिलने पर, भारती को हरियाणा में संभावित मदद पाने के लिए एक अन्य सामाजिक संगठन से सहायता लेने का सुझाव दिया गया था, लेकिन उसने जून 2019 में अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ अपने अधिकार क्षेत्र के पुलिस स्टेशन से संपर्क करने का साहस किया। उसकी शिकायत के आधार पर उसे बयान के लिए पुलिस स्टेशन ले जाया गया। थाने में भारती के परिजनों ने, घर लौटने पर उसके बेहतर इलाज कराने का आश्वासन देकर, उसे वापस ले आए। दुर्भाग्य से, वह उसी पुराने अत्याचारपूर्ण व्यवहार के अधीन हो गई। इसलिए, 16 दिनों के बाद उसने पुलिस स्टेशन से दोबारा संपर्क किया और अपनी आपबीती साझा की। उसे वापस पुलिस स्टेशन ले जाया गया, इस बार उसके बयान के आधार पर उसे करनाल के महिला आश्रय गृह में भेज दिया गया। वह 7 दिन उस शेल्टर होम (आश्रय गृह) में रही और फिर दिल्ली चली आई।

दिल्ली में भारती को एक दिन के लिए धनक होम में रखा गया और अगले दिन शक्ति शालिनी के महिला आश्रय गृह में उसे शिफ्ट कर दिया गया। दिल्ली में उसकी उपस्थिति के बारे में जानकारी साझा करने के लिए उसके परिवार और पुलिस स्टेशन से संपर्क किया गया। भारती 20 दिनों तक आश्रय गृह में रही, लेकिन उसके परिवार ने उससे मिलने की कोई जहमत नहीं उठाई। ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों सिरों पर कोई प्यार नहीं बचा था, क्योंकि भारती और उसके माता-पिता के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध थे।

भारती अपने परिवार को छोड़ने का अवसर ढूंढ रही थी। लेकिन उसे सही मार्गदर्शन और रहने की जगह नहीं मिल रही थी। उसका परिवार भी उससे तंग आ गया था, क्योंकि भारती उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही थी। भारती के फैसले और आशाएं, गाँव में, अपनी उम्र की किसी भी अन्य लड़की के व्यवहार-स्वभाव से अलग थे, इसलिए परिवार में हमेशा तनाव रहता था।

कुछ ही दिनों में, भारती, आश्रय गृह से निकल गयी और उत्तरी दिल्ली में एक किराए के मकान में रहने लगी। वह एक अन्य स्वतंत्र महिला के साथ इस किराये के घर में शेयरिंग पर रह रही है। बड़े से शहर में, अपनी उम्मीदों और फैसलों के साथ, मजबूती से आगे बढ़ पाने की आशा के साथ धनक द्वारा 2 महीने तक भारती को एक छोटी आर्थिक सहायता दी गई। भारती अब उत्तरी दिल्ली के उसी क्षेत्र में एक बुटीक में सेल्स गर्ल के रूप में काम कर रही हैं। वह धनक से मिली आर्थिक मदद लौटाने के लिए भी जी-तोड़ मेहनत कर रही है।

अपनी ज़िंदगी में कुछ काम करने के लिए, अपने सपनों के लिए, या अपनी पसंद से शादी करने के लिए जो निर्णय एक लड़की लेती है, ऐसी ही एक लड़की की कहानी है भारती की, जो एक छोटे से गाँव की है। यह  कहानी सभी लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने जीवन के बड़े निर्णय लेने को अपने माता-पिता और परिवार के दुखों का कारण मानती हैं। 

दुर्भाग्य से, आज कई शिक्षित या शहरी लड़कियाँ अपनी ज़िंदगी के बड़े फैसले खुद तय तो करना चाहती हैं, पर वह समाज में महिलाओं के लिए बनाये पारंपरिक मानदंडों और प्रथाओं को स्वीकार करने को भी तैयार हो जाती हैं। लेकिन खुद के लिए निर्णय लेना हमेशा एक विकल्प होता है, एक मौका होता है, जैसा भारती ने अपने लिए किया। 

फीचर्ड फोटो प्रतीकात्मक है। फीचर्ड फोटो आभार: Snap wire snap

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