क्या मशीनीकरण से बढ़ रही है बेरोज़गारी ?

अवध पीपल्स फोरम, उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद (अब अयोध्या) में स्थानीय युवाओं के साथ शिक्षा, वैज्ञानिक चेतना, रोज़गार और स्वास्थ्य जैसे कई मुद्दों आर काम कर रहा एक संगठन है। ‘मशीनीकरण और बेरोज़गारी’ के विषय पर आयोजित चर्चा के दौरान युवाओं ने इस पर आपने विचार व्यक्त किए। उन्हें इस पोस्ट में संकलित किया गया है।  

आरजू: 

आज बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या बन चुकी है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि किसी एक काम के अधिक तेज़ी से हो जाने के कारण बेरोज़गारी बढ़ रही है। हर काम में ही तेज़ी आ जाने के कारण बेरोज़गारी की अधिक समस्या देखने को मिल रही है। मशीनीकरण और अधिक तेजी से विकास होने के कारण हमारे शहरों आर कस्बों में रोज़गार लगातार घटते ही जा रहे हैं। अब अधिकतर काम मशीन द्वारा हो जाते हैं, जिसमें मजदूरों की ज़रूरत नहीं पड़ती है। 

किसी एक मशीन की बात करें तो जैसे एक मकान बनवाने में 7 से 9 मजदूरों की जरूरत पड़ती है, लेकिन जब छत बनना होता है तो उसमें 10 से 15 मजदूरों की जरूरत पड़ती है, लेकिन अब एक मशीन ही 10 या 15 मज़दूरों की कमी पूरी कर देती है। इससे मज़दूरों को काम नहीं मिल पाता है। अब रिक्शा चालक की ही बात करें तो पहले साकिल वाला रिक्शा चलता था, जिसे एकदम निचले तबके के लोग चलाते थे। ये रोज़ कमाने-खाने वाले लोग होते थे, लेकिन अब रिक्षेकी भी नई तकनीक आ जाने और इसका मशीनीकरण हो जाने के कारण साइकिल रिक्शा चलना ज़्यादातर शहरों में बंद हो गए हैं। 

अब बैटरी द्वारा चल रहे रिक्शे अधिक तेजी से विकसित हो रहे हैं, और कीमत ज़्यादा होने के कारण निचले तबके के लोग वह बैटरी रिक्शा नहीं खरीद पाते। इस तरह उनका रोज़गार भी खत्म हो रहा है। आम जनता भी बैटरी रिक्शा को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि उनसे आने-जाने में समय की भी बचत हो रही है और साथ ही जनता को पैसे देने में कोई भी परेशानी नहीं होती। साइकिल रिक्शे में एक बार में 2 से 3 लोग ही बैठ पाते हैं और इसे खींचने में मेहनत भी ज़्यादा लगती है इस कारण पैसे डबल हो जाते हैं। वहीं बैटरी रिक्शा में मेहनत भी नहीं लगती और एक बार में 6 से 7 व्यक्ति उसमें सफर कर लेते हैं, इस कारण पैसे कम लगते हैं। इन सबका असर जनता पर पड़ रहा है, और इस तरह अब साइकिल रिक्शे का रोज़गार लगभग खत्म ही हो गया है।

Author

  • आरज़ू / Aarzoo

    आरज़ू, उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद की युवा कार्यकर्ता हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े हक-अधिकारों पर प्रेरणा किशोरी विकास केंद्र से जुड़े समुदायों को संभालती हैं। किशोरियाँ लगातार पढ़ाई से जुड़ी रहे दिलकुशा, धारा रोड में इनका यही प्रयास रहता है। साथ ही आरज़ू अवध पीपुल्स फोरम संस्था के साथ मिलकर यह किशोरियों की शिक्षा को बुलंद करने का काम करती हैं।

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