धान की नस्लों की टेस्टिंग करने की आदिवासी समुदाय की जंवारा बोने की प्रथा  

मंजुलता: 

हमारे पूर्वज हज़ारों सालों से बरसात आने से पहले खेती कार्य शुरू करते थे। इस तरह धान की अलग-अलग नस्ल की फसलों की टेस्टिंग करने के लिए 9 दिन तक, गाँव की खैरो दाई (शीतला) पेनठाना में जंवारा बोया जाता था, और टेस्टिंग होती थी कि ये धान आने वाले समय में उत्तम है या नहीं। पहले सिर्फ बाँस की बनी एक टोकरी में मिट्टी डालके धान के कुछ बीजों को बोया जाता था, और उसी कमरे में एक मिट्टी के दिये में  महुवा तेल डालके जलाया जाता था, जिससे अनेक-कीड़े, मकोड़े, बैक्टीरिया आदि का खात्मा हो जाता था।

जंवारा बोना मुख्यतः आदिवासियों की व्यवस्था थी, पहले हर गाँव में खैरो दाई (शीतला) पेनठाना में बैगा ही बिठाया जाता था और आज भी बैगा ही बिठाया जाता है। पर कहीं-कहीं अब पुजारी भी बैठाना शुरू कर दिए हैं। ऐसे लोग जिन्हें न तो ग्राम शक्ति का पता है, न गाँव के देवी देवता का।

गाँव के ठाकुर देव कौन हैं?

साहड़ा देव?

सातों बहिनी कौन है?

भिमाल पेन कौन है?

पेन क्या होता है?

भैंसासुर/महिसासुर कौन है?

राव पेन कौन है?

कैना दाई कौन है? 

उन्हें इन सबकी कुछ जानकारी नहीं है, अब ये सब आपको वेद शास्त्रों में भी नहीं मिलेगा और न ही दुनिया के किसी भी धर्म ग्रन्थ में, बस खोजते रह जाओगे। ग्राम शक्ति कौन है ये सिर्फ आदिवासी ही बताएगा, क्योकि गाँव बसाने का कार्य आदिवासी ही करते हैं, और गाँव में ग्राम शक्ति बिठाने का कार्य भी आदिवासी ही करते हैं।

जय जोहार, जय आदिवासी!
प्रकृति जोहार!

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  • मंजुलता मिरी / Manjulata Miri

    मंजुलता, छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले से हैं और सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़ी हैं। वर्तमान में मंजु, दलित आदिवासी मंच के साथ जुड़कर जल-जंगल-ज़मीन के मुद्दों पर काम कर रही हैं।

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