जाने कितनी लड़कियों को रंग के कारण करना पड़ता है भेदभाव का सामना

बबली प्रजापति: 

ये कहानी मेरी एक दोस्त की है, वो एक दलित परिवार से है और उसके साथ रंग को लेकर भेदभाव हुआ है। मैं जिस दलित महिला के साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में लिख रही हूँ, वह मेरे ही गांव की रहने वाली है, उसका नाम अंजली है। अयोध्या जिले की रहने वाली अंजली का रंग अन्य महिलाओं के मुक़ाबले गहरा है, साथ ही एक दलित होने के कारण गाँव के अन्य लोग उसके साथ रहने पसंद नहीं करते थे। उसके साथ जो दुर्व्यवहार हो रहा था, वह मुझे वह अच्छा नहीं लगता था। 

एक बार वह मेहंदी सीखने के लिए मेरे प्रशिक्षण केंद्र में आई, मैंने उससे बातचीत की और मुझे उससे बात करके बहुत अच्छा लगा और मुझे उस उसमें कोई भी कमी नज़र नहीं आई। हमारी उससे रोज़ मुलाकात होने लगी और हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए। धीरे-धीरे वह अपने बारे में मुझसे सारी बातें शेयर करने लगी, अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में जब उसने मेरे साथ शेयर किया तो मुझे बहुत ही ज़्यादा बुरा लगा, फिर मैंने सोचा कि चाहे जो हो जाए लेकिन मैं उसका साथ नहीं छोडूंगी। तब से मैंने उसके साथ बाहर आना-जाना, उसके साथ खाना-पीना और उसके घर जाना शुरू कर दिया। 

अंजली से बढ़ती मेरी इस दोस्ती के कारण गाँव के लोगों से मुझे बहुत कुछ सुनने को मिला, पर मैंने उन सारी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी दोस्त का साथ नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे कुछ टाइम बाद सब कुछ बदलने लगा, समाज के लोग भी अब उसे उल्टा-सीधा नहीं बोलते थे। उन्होने भी अंजलि को उस नज़र से देखना बंद कर दिया और सभी उसके साथ मेरी तरह रहने लगे। अब रंग के कारण उसके साथ कोई भी भेदभाव नहीं करता, और अब उसकी शादी हो गई है और वो अब बहुत खुश है।

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  • बबली प्रजापति / Babli Prajapati

    बबली, उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद की युवा कार्यकर्ता हैं जो सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़ी हैं। पितृसत्तात्मक और पुरुष-नेतृत्व वाले समाजों को बदलने के लिए सभी महिलाओं और लड़कियों को आर्थिक सशक्तिकरण प्राप्त करने की आवश्यकता है का विचार रखती बबली ने महिलाओं को सिलाई-कढाई के काम सिखाने के लिए तीन प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं जहाँ 60 से ज़्यादा महिलाओं को वो वर्तमान में प्रशिक्षण दे रही हैं। बबली साथ ही अवध पीपलस फोरम के साथ जुड़ कर महिलाओं के हक़-अधिकारों पर भी काम करती हैं।

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