अरबिंद भगत:
हम अच्छे भले जी रहे थे
इस दुनिया से दूर,
जिसे सभ्य कहा जाता है आज।
हम जी रहे अपनी ज़िंदगी,
उन जंगलों के साथ,
जो हमें देता था,
अपने फूल-फल,पत्ते,कंद-मूल
और देता था ज़िन्दगी की सीख,
कि हमारे जीवन में,
सबकी जगह है,
चाहे वह मिट्टी का
छोटा कीड़ा हो,
या फिर हो,
जंगल का सबसे बड़ा जीव।
हम जी रहे थे
अपने समाज,
अपने लोगों, अपनी परंपराओं,
अपनी तमाम रीति-रिवाजों,
अपनी सामाजिक नीति-नियमों के साथ,
जो हमें एक साथ होकर जीना सिखाती है ।
हम जी रहे थे
ज़िन्दगी अपनी मदईत परम्परा,अखड़ा,
पाड़हा, मानकी मुंडा के साथ,
जो हमें समुदाय के साथ-साथ,
व्यक्ति के विचारों का भी सम्मान करना
सिखाती हैं।
हम जी रहे थे
अपने धुमकुड़िया,
गोटूल, गीति ओड़ा के साथ,
जो सफल ज़िन्दगी गुर सिखाती थी।
ऐसी ही ज़िन्दगी जी रहे थे हम
सब हँसी-खुशी,
अपने समुदाय के साथ,
और ऐसे ही दिन, महीने, साल और सदियां बीत
रही थीं और
हर पीढ़ी अपने गीतों, त्योहारों, प्रथा, परंपराओं,
रोपनी, खेती, धुमकुड़िया,
गोटूल, गीति-ओड़ा
के माध्यम से सौंप रही थी विरासत,
अपनी अगली पीढ़ी को।
और फिर एक दिन
वो आये
अपने धर्म,
और हमें सभ्य बनाने का मिशन लेकर,
उन्होंने हमें बताया
कि उनके ईश्वर ने उन्हें,
भेजा है पूरी दुनिया को सभ्य बनाने।
और वो हमें बताने लगे,
जंगली, अशिक्षित और असभ्य
और पढ़ाया मोटी-मोटी किताबों को,
जिसे पढ़कर हमें एहसास हुआ कि
हम दुनिया के सबसे
असभ्य, जंगली, अशिक्षित, अन्यायी लोग हैं।
उन्होंने हमें बताया
हमारी समस्याओं के बारे में,
साथ ही हमें बताया
उनके प्रभु के
चमत्कार के बारे में,
कि कैसे उनके प्रभु की
शरण में आते ही,
ज़िन्दगी के सारे दुख-दर्द हो जाते हैं खत्म।
फिर बनने लगे मंदिर
मस्जिद और चर्च हमारे
सरना, मसना और कदलेटा में,
और अब हम भी धार्मिक हो गए,
नियमानुसार पूजा-प्रार्थना-अर्चना
व्रत-उपवास अब हमारी ज़िन्दगी का भी हो गए अंग
अब हमने भी देशवाली, सरना, गाँव देवता
हरबोड़ी, को छोड़ दिया पूजना।
अब आज का वो दिन है
जब हम भूल चुके हैं,
हमे पता नहीं,
हम कौन हैं,
हमारा इतिहास,
हमारी अस्मिता क्या है
और क्या है हमारी पहचान।
अब हमें हमारे पूर्वज नहीं
कोई और धार्मिक धंधे वाले
लोग बताते हैं हम कौन हैं।
और हम चुपचाप बेबस, लाचार, असहाय
बस उस दिन का करते हैं इंतज़ार,
जब फिर से हमारे पुरखे लौट कर
आएंगे हमारे पास,
और लेंगे अपनी शरण में,
और हमें भी दुबारा मिलेगी,
हमारी अपनी सदियों की
पुरानी पहचान।