गोपाल पटेल:
इस दुनिया में रिश्ते बनाना आसान है,
लेकिन रिश्तों को निभाना बहुत कठिन है।
जो इसकी अहमियत जानता है ,
वही इसे इत्मिनान से निभा सकता है।
इस रंग-बिरंगी दुनिया में
माना हर एक रंग खिलता है।
लेकिन कुछ रंग ऐसे होते हैं,
जो फिजाओं के साथ बदल जाते हैं।
इसी तरह मनुष्य की प्रवृति होती है।
क्षण भरी दुनिया में,
कौन अपना है, कौन पराया है?
इसका एहसास दिलाती है ज़िंदगी,
रंग बिरंगी दुनिया में,
अपनी दुनिया में मस्त हैं।
किसी को कुछ नहीं फर्क पड़ता है,
कि आप किस दरमियान जी रहे हैं।
फर्क उनको पड़ता है,
जो अंतर्मन से जुड़ा हो।
बाकी सब फसाने हैं,
बाकी सब दिखावे हैं।
यही तो है रंग बिरंगी दुनिया का एहसास।
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