18 या 21, शादी की उम्र में प्रस्तावित बदलाव पर क्या हैं गाँव बलौदा बाज़ार की ग्रामीण महिलाओं के विचार? 

कौशल्या चौहान:

ग्राम महाकोनी, खोसड़ा ग्राम पंचायत, विकासखंड कसडोल का एक छोटा सा गॉंव है जो छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार ज़िले में है। शादी की उम्र में प्रस्तावित बदलावों को लेकर गॉंव में दलित आदिवासी मंच से कौशल्या ने एक चर्चा बैठकी बुलाई। चर्चा में हुई बातचीत के अनुसार कौशल्या ने सबकी बातों को इस छोटी सी रिपोर्ट में साझा किया है –

गॉंव की बुजुर्गों को लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने के प्रस्ताव पर लगता है कि यह जो कानून बना है, बिल्कुल ही गलत है। उन्हें लगता है कि उम्र 21 कर देने की बात, हमारे आदिवासी क्षेत्र के लिए सही नहीं है, क्योंकि 18 साल की होते-होते तो लड़कियाँ किसी न किसी के साथ चली जाती हैं।

गॉंव में रहने वाली महिलाओं के साथ बैठकर जब चर्चा की, तो कुछ महिलाओं का कहना है कि ये नियम सही नहीं है। दूसरी तरफ़ कुछ लोगों का ये भी कहना है कि, इसी के नाते, कम से कम हमारे गॉंव की बेटी को आगे पढ़ने का मौका मिल जाएगा। गॉंव में लोग अपने बच्चों को आठवीं-दसवीं से ज़्यादा स्कूल में पढ़ा नहीं पाते हैं। आज के ज़माने में पढ़ना-लिखना बहुत ज़रूरी है। अगर नहीं पढ़े-लिखे तो गॉंव की लड़कियों को अनपढ़ समझते हैं। शादी की उम्र 18 से 21 होगी तो लड़की कम से कम आगे की पढ़ाई पूरा तो कर सकती है। किसी के साथ भागना या संबंध बनाना, वह अपनी जगह में है। हमारे हिसाब से तो ये सही कानून बना है।

हमने जब गॉंव की लड़कियों को पूछा कि 18 साल की शादी की उम्र बढ़ा दी गई है उसके बारे में वे क्या कहना चाहती हैं, तो लड़कियाँ बहुत खुश होकर जवाब दी कि जो हुआ वह सही हुआ। कम से कम हमें पढ़ने का और आगे समय मिलेगा। जिन्होने भी यह नियम बनाया है बहुत सही बनाया है।

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