एम.जे. वास्कले:
बेशक कम पढ़े लिखे लोग
रहते हैं गांव में,
फिर भी हर वर्ग के लोगों का मान-सम्मान करना तो रहता है,
इनके स्वभाव में
इसीलिए अनमोल है मेरा गांव।
भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, समुदाय के
लोग रहते हैं गांव में,
फिर भी हर समस्या का समाधान करते हैं
एक पेड़ की छांव में
इसीलिए अनमोल है मेरा गांव
गरीबी, दरिद्रता और बेरोज़गारी तो अक्सर रहती हैं गांव में,
तब भी अपने बच्चों को
नहीं रखते किसी वस्तु या खुशी के अभाव में
इसीलिए अनमोल है मेरा गांव
माता-पिता पैदल ही मेहनत मज़दूरी करने
जाते हैं गांव में,
फिर भी अपने बच्चों को पढ़ाने भेजते हैं नाव में
इसीलिए अनमोल है मेरा गांव
रीति, रिवाज, परंपरा और बड़े-बुजुर्गों का मान सम्मान
करना सिखाया जाता है गांव में,
तब ही तो नहीं होते हैं यहां के लोग बुरे बर्ताव में
इसीलिए अनमोल है मेरा गांव
विद्वानों, महापुरुषों एवं अन्य अतिथियों का
भव्य स्वागत होता है गांव में,
भले ही यहां के निवासियों के
जूते-चप्पल नहीं रहते हैं पांव में
इसीलिए अनमोल है मेरा गांव
कुछ समय पहले तक तो प्राकृतिक संसाधनों की
कोई कमी नहीं रहती थी गांव में
लेकिन वर्तमान में कृत्रिम तकनीकी के
विकास से उपजी समस्या कुप्रभाव में
फिर भी अनमोल है मेरा गांव
राजनेता और उद्योगपति मिलकर
जल, जंगल, ज़मीन को विकास के नाम पर
उजाड़ रहे हैं गांव में,
और भविष्य की पीढ़ी का जन, जीवन लगा रहे दाव में
लेकिन फिर अनमोल है मेरा गांव।

आपकी कविता के माध्यम से गांव की समस्याओं को अवगत कराने के लिए और गांव में जो गतिविधियां संचालित होती हैं उसके ऊपर प्रकाश डालने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार
ग्रामीण परिवेश का मार्मिक चित्रण करने के लिए आपके आभारी रहेंगे………