ପ୍ରଫୁଲ୍ଲ କୁମାର ମିଶ୍ର (प्रफुल्ला मिश्रा):
(ओड़िया कविता)
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
ଆଳୁ ଚାଳିଶିକୁ ପିଆଜ ପଚାଶ
ପରଜା ମନେ ଭାଳେଣି
ପଖାଳ କଂସାଟା ଅନେଇ ହସୁଛି
ଆଛେ ଦିନ୍ ର ଚଳଣି
ମନେ ମନେ ଗାଇ ଗୀତ
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
ନାହିଁ ରୋଜଗାର ନିଯୁକ୍ତି ବେପାର
ମୁଣ୍ଡରେ ଦେଇଛି କର,
ରାସନ ପରିବା ଉପରକୁ ମୁହଁ
ଛୁଇଁଲେ ଆଉଛି ଜର
ସରକାର ମୌନ ବ୍ରତ
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
ଅଶିନ ମାସରେ ବଇଶାଖ ତାତି
ଜ୍ୟେଷ୍ଠ ଗୁଳୁଗୁଳି ଲାଗେ
ମହାମାରୀ କାଳେ ବଢେଇ ବିଜୁଳି
କୋରୋନା ଖରଚ ମାଗେ
ମନେ ମନେ ଭାରି ପ୍ରୀତ
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
ଚାଷୀର ଆୟଟା ଦ୍ଵିଗୁଣ ହୋଇବ
ଖୁସିରେ ରହିବେ ଚାଷୀ
ଛଳ କୃଷିନୀତି ଶ୍ରମିକ ଦୁଃସ୍ଥିତି
ଧନୀ, ବ୍ୟବସାୟୀ ଖୁସି
ସଂସଦେ ହୋଇଛି ପାରିତ
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
ଟିଭି ର ପରଦା ଚର୍ଚ୍ଚା ଜୋର୍ ଧରେ
ନାୟକ ନାୟିକା ପ୍ରୀତି
ଶ୍ରମିକ କୃଷକ ରାଜ ରାସ୍ତେ ଠିଆ
ଦିଶେ ନାହିଁ ତାଙ୍କ ଗତି
ଶାସକ ମାଲିକ ମିତ
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
ବଢୁଛି କଷଣ ଦୁଃଖ କଷ୍ଟ ଚାପ
ଦିନୁ ଦିନ ସଂକ୍ରମିତ
ସ୍ୱଚ୍ଛ ଭାରତରେ ହିସାବ ମିଳୁନି
ଅର୍ଥନୀତି ପ୍ରଭାବିତ
କୋରୋନା ଗାଏ ସଙ୍ଗୀତ
ଆପନ୍ ମାନେ ଖୁ ….ସି …. ତ….!
“आप सब खुश हैं ना…!”
“आप सब खुश हैं ना…!”
आलू चालीस तो; प्याज़ पचास
प्रजा हुई परेशान
पखाल भात का कांसा बर्तन; देख कर हँसता
अच्छे दिन का चलन
मन ही मन गाते हुए
“आप सब खुश हैं ना…!”
नहीं है रोज़गार, नियुक्ति या व्यापार
सर पे पड़ा है कर्ज
राशन, सब्जी का दाम चढ़ा है ऊपर
जिसको छूने से होता है बुखार
सरकार ले रखी मौन व्रत
“आप सब खुश हैं ना…!”
अश्विन महीने में बैसाख की धूप
और जेठ की गर्मी
महामारी काल में; बिजली का बिल बढ़ा के
मांगे कोरोना का खर्च
मन ही मन खूब प्रेम
“आप सब खुश हैं ना…!”
आमदनी किसान की होगी दुगना
खुश रहेगा किसान
कृषि नीति का छल; श्रमिक की कुस्थिति
अमीर और व्यापारी खुश
संसद में हुई है ऐसी नीति पारित
“आप सब खुश हैं ना…!”
टीवी के पर्दे पर; चले चर्चा ज़ोरदार
उमड़े नेताओं का प्रेम
किसान, श्रमिक राज्य रास्ता में खड़ा
दिखता नहीं उनकी दशा
शासक-व्यापारी बने दोस्त
“आप सब खुश हैं ना…!”
बढ़ रहा परेशानी, दुख, कष्ट और दबाव
संक्रमण दिन पर दिन
ऐसे स्वछ भारत में, मिल न रहा हिसाब
आर्थिक नीति हुई प्रभावित
कोरोना के गाए संगीत
“आप सब खुश हैं ना…!”
प्रफुल्ला मिश्रा द्वारा लिखित यह कविता “ଆପଣ ମାନେ ଖୁସି ତ” (आप सब खुश हैं ना) एक व्यंगात्मक रचना है। “आप सब खुश है ना” वाक्य ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के एक भाषण से लिया गया है। यह वाक्य उन्होंने पहली बार ओडिशा में हुए हॉकी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के दौरान प्रयोग किया था। बाद मे इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया था। देश में कई सारी समस्याएं उभर रही हैं, उन पर नेताओं की नज़र नहीं है। इसके बजाए वे लोगों के आखों मे धूल झोंकने का काम कर रहे हैं।
