लाल प्रकाश राही:
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनकी जेब में चाकलेट खरीदने के पैसे नहीं हैं।
उन्हे भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनके पिता पिछली आज़ादी के दिन
कर्ज न चुका पाने की चिंता में
कीटनाशक पी कर आत्महत्या कर लिये।
उन्हे भी गुमान है जश्ने आजदी का
जिनके घरों के चूल्हे,
साल में कई दिन नहीं जलते।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनकी पत्नी पैसे और ईलाज के अभाव में
अस्पताल के दरवाजे पर तड़प कर दम तोड़ दिया।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनकी बेटी को सरे राह बलात्कार कर के हत्या कर दिया गया
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनके अपनों को वहसी भीड़ ने
पीट – पीट कर मौत के घाट उतार दिया।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
दर – बदर जो भटक रहे हैं नौकरियों की तलाश में
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनके अपने बेटे सत्ता की राजनीति की
बलि वेदी पर शहीद हो गये।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनके अपने झोपड़े उजाड़ दिये गये
शासन के इशारे पर।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिन्हें आज भी प्रवेश नहीं मिलता मन्दिरों में
सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होने नहीं दिया जाता।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनकी आँखें सजी ऊँची -ऊँची दुकानों की ओर
ललचाई नजरों से देखती है लेकिन जेबें खाली होती हैं पैसों से।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनके बचपन आबाद हैं फुटपाथों पर
जवान होने के लिए।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
जिनके जूते घिस जाते हैं, नजरें बूढ़ी हो जाती है
अपने बेगुनाह बच्चों की रिहाई के इंतजार में
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
सूख गई जिनकी फसलें खाद – पानी के इंतजार में।
उन्हें भी गुमान है जश्ने आज़ादी का
कलम पकड़ने की उम्र में जिनके हाथों में
मजदूरी करने के समान थमा दिये गये।
उन्हें भी गर्व है जश्ने आज़ादी का
जिन्हें शिक्षा, रोजगार, सामाजिक न्याय, स्वाथ्य सुरक्षा, और आजीविका मिशन के नाम पर बहकाया जा रहा है।
