जन स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी खजाने का दुरुपयोग

मोहन किराड़े:

मुझे लगता है कि स्वास्थ्य विभाग की सारी सुविधाएं अर्ध शासकीय कर देना चाहिए क्योंकि लोग शासकीय  सुविधा का गलत उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे गांव में आजकल हर कोई नेता बन गया है। ये नेता छोटे-मोटे दर्द के लिए भी जबरन प्रसूति और इमर्जेंसी की गाड़ी बुलाने के लिए नंबर 108 लगाते हैं। गाड़ी नहीं भेजने पर धमकी देते हैं कि हम बड़े नेता से फोन करवाएंगे, शिकायत करेंगे। इसके कारण जो असली में ज़रूरतमंद हैं उन्हें लाभ नहीं मिल पता है। 

कई बार दारू पीकर भी लोग दवाखाने में आकर डॉक्टर-नर्स को परेशान करते हैं, दवाई मांगते हैं। कई बार तो लोग ऐसे ही बिस्तर पर आकर लेट जाते हैं, सो जाते हैं और कर्मचारियों को परेशान करते हैं। अब आप सोचेंगे ऐसे कैसे हो सकता है, लेकिन मध्य प्रदेश में अधिकांश छोटी जगहों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की यही हालत है।

स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से गरीब लोगों को कम पैसों में लाभ मिलना चाहिए और सही उपचार भी मिलना चाहिए, लेकिन उनसे कुछ न कुछ राशि ज़रूर ली जानी चाहिए। इससे अनावश्यक लोग हस्पताल का जबरन उपयोग नहीं करेंगे और हस्पताल के कर्मचारियों, अधिकारी भी परेशान नहीं होंगे और दवाओं का भी उचित आवश्कयता अनुसार उपयोग होगा। 

जब सरकार निशुल्क दवाइयां  देती है तो लोग उसका उपयोग सही नहीं करते हैं और दवाई को अक्सर फ़ेंक देते हैं। अगर दवाई-गोली कम देते हैं तो बोलते हैं कि ये तो सरकारी दवाइयां हैं, और थोड़ी गोली-दवाई दे दो। और तो और ऊपर से ये भी बोल देते हैं कि कौन सी दवाई तुमको अपने घर से देनी पड़ रही है, ये तो सरकारी है। मेरी सोच ये है कि जब लोग पैसे खर्च करेंगे तब उनको अक्कल आएगी, वो मेहनत भी करेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं का सही उपयोग और मूल्य भी समझेंगे। जनता को ये सबक सीखना ही पड़ेगा।

साथ ही मुझे लगता है कि महिला प्रसूति सहयोग राशि को भी बंद कर देना चाहिए ताकि जनसंख्या बढोतरी पर रोक लगे। अभी तो ऐसा लगता है जैसे बच्चे पैदा करने पर इनाम मिल रहा है। इससे लोगों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गलत मेसेज जाता है। या फिर सरकार को 2 से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले पर आर्थिक दंड लगाना चाहिए ताकि जनसंख्या बढ़त में रोक लगे।

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One comment

  1. मोहन भाई आपके सुझाव चिंतनीय है।

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