बीना कुमारी दंडपाट:
सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़ी बीना, झारखंड के चाईबासा क्षेत्र से हैं। युवानिया के इस अंक के लिए बीना ने बिरहोड़ आदिवासी समुदाय का एक सुंदर लोक गीत हमारे साथ साझा किया है, जो संथाली भाषा में है। बिरहोड़ समुदाय भारत के उन 75 आदिम जनजातीय (PVTG) समुदायों में से एक है, जो सांस्कृतिक और जनसांख्यिक रूप से खतरे में हैं।
पारंपरिक रूप से बिरहोड़ समुदाय एक घुमंतू समुदाय है, जो मुख्य रूप से झारखंड राज्य में बसा है लेकिन कुछ संख्या में यह पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में भी बसे हैं। इस समुदाय की अपनी भाषा भी है जो समुदाय के नाम से ही है, यानि कि बिरहोड़। लेकिन जिन क्षेत्रों में यह बसे हैं वहाँ की स्थानीय भाषाओं को भी इन्होने अपनाया है, इसलिए यह गीत संथाली भाषा में है। अब आइये आनंद लेते हैं इस सुंदर गीत का, इस गीत का हिन्दी अनुवाद आप नीचे पढ़ सकते हैं।
विर बिरींग दाड़ाना गोटा बिरींग दाड़ाना,
इन दो कनाय बिरहोड़ दो;
विर बिरींग दाड़ाना गोटा बिरींग दाड़ाना,
इन दो कनाय बिरहोड़ दो;
जहान कोगेन गोय कोवा,
बेरेल जिलिम जो मों;
इन दो कनाय बिरहोड़ दो,
दांडी गिईन यूऑ बेरेल जिलिम जोमा;
इन दो कनाय बिरहोड़ दो,
इन दो कनाय बिरहोड़ दो;
आलोक पढ़हक मेदाबोन,
अकिल ज्ञान हार बोन;
इन दो कनाय बिरहोड़ दो,
इन दो कनाय बिरहोड़ दो;
विर बिरींग दाड़ाना गोटा बिरींग दाड़ाना,
इन दो कनाय बिरहोड़ दो;
विर बिरींग दाड़ाना गोटा बिरींग दाड़ाना,
इन दो कनाय बिरहोड़ दो;
हिन्दी अनुवाद:
जंगल-जंगल घूमेंगे, सारा जंगल घूमेंगे। हम ही हैं बिरहोड़।
कुछ भी जानवार को मारते हैं, कच्चा मांस खाते हैं।
हम ही हैं बिरहोड़।
हड़िया ही पियेंगे, कच्चा मांस खाएंगे।
हम ही हैं बिरहोड़।
पढ़ने-लिखने में हम लोग कमज़ोर हैं, बुद्धि ज्ञान से पीछे हैं।
हम ही हैं बिरहोड़।
जंगल-जंगल घूमेंगे सारा जंगल घूमेंगे।
हम ही हैं बिरहोड़।
अनुवाद आभार: मदन मोहन सोरेन
फोटो आभार: जुएल मार्टिन हालपर्न, 1956
