साथियों आज हमारे देश में मज़दूरों की स्थिति बहुत ही खराब होती जा रही है। समाज में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को स्वंय से यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या वह मज़दूरों की इस स्थिति से वाक़िफ़ नही है या जानबूझ कर अंजान बना हुआ है? क्यूंकी आज भी हम में से कुछ लोग सोचते हैं कि यदि मज़दूरों को उनका हक मिला तो इससे हमारा नुकसान होगा। इसी सोच के चलते समाज का एक तबका इनके हकों की बात नहीं करता हैं। जो करते भी हैं उन्हें ज़ोर ज़बरदस्ती चुप करवा दिया जाता है।
पर शायद हम ये नहीं सोचते कि उनको हक मिल जाए तो उनको हज़ारों समस्याओं से निजात मिल जाए। उनके घर और परिवार और बच्चों के चेहरों पर एक अलग सी खुशी देखने को मिलेगी। हम भूल जाते हैं कि वे भी हमारे भाई-बहन, हमारे अपने ही लोग हैं जो दूसरों को खुशी देकर खुद अपना जीवन दुःख भरा बिताते हैं। मज़दूर चाहे महिला हो या पुरूष, उनका आर्थिक रूप से, मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से शोषण किया जा रहा है।
पर शायद हम भूल जाते हैं कि आज इन्हीं मज़दूर भाई-बहनों की वजह से हमारे देश की आर्थिक स्थिति मज़बूत हो रही है। फिर भी आज हमारे देश में हमारे मज़दूर भाई-बहनों का हक मारा जा रहा है। हमारे देश के लोग ये भूल जाते हैं कि रोज़गार न होने की वजह से हमारे भाई लोग अपना घर परिवार छोड़ कर देश-विदेश में मज़दूरी करके अपने घर और हमारे देश कि आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे है। घर से दूर जब इंसान अनजाने शहरों में रहने को मजबूर होता है तो उसका तरह-तरह से शोषण होता है।
