जसिंता केरकेट्टा: एक दिन ईश्वर मेरी आदत में शामिल हो गया अब मेरी आदत में ईश्वर था जैसे मेरी आदत में तंबाकू जिस दिन कुछ

युवाओं की दुनिया
जसिंता केरकेट्टा: एक दिन ईश्वर मेरी आदत में शामिल हो गया अब मेरी आदत में ईश्वर था जैसे मेरी आदत में तंबाकू जिस दिन कुछ
जसिंता केरकेट्टा: वो लकड़ी ढोकर उतरती है पहाड़ से,उसके पीछे धीरे-धीरे सूरज भी उतरता है।दोनों को उतरते देखती है चुपचाप पहाड़ी नदीऔर उसकी साँसों में
जसिंता केरकेट्टा: हम नहीं जानते थे कैसी होती है कोई सरकारजन्म लेते और होश संभालते ही हमने देखा सिर्फ़ जंगल और पहाड़हमें बताओ साहब, कैसी