मसूर के बीज की कहानी – झारखंड के कोल्हान क्षेत्र की लोक कथा

फील्ड सोंग्स ऑफ़ छत्तीसगढ़, एस.सी. दुबे की किताब से:

(From the book Field Songs of Chattisgarh by SC Dube; Printed by Universal Publishers, Lucknow, 1947)

बहुत पुरानी बात है। एक बार की बात है कि एक धोबी के लड़के और एक नाई के लड़के का एक ही नाम था। एक दिन धोबी के लड़के को धोबी ने बहुत डांट लगाई। इतना डांटा, इतना डांटा कि उस लड़के ने सोच लिया कि अब मैं घर से भाग जाता हूँ। उसी दिन ऐसा संयोग हुआ कि नाई के बेटे को भी बहुत डांट पड़ी थी और वह भी गुस्से से घर से भाग रहा था।  

कुछ दिनों बाद दोनों भटकते भटकते कहीं मिले। धोबी के लड़के ने पूछा, अरे मेरे नाम वाले, तू कहाँ जा रहा है? 

नाई के बेटे ने बताया – मुझे बहुत डांट पड़ी तो मैं भाग रहा हूँ घर से और तुम कहाँ जा रहे हो? धोबी के बेटे नें बताया कि उसे भी डांट पड़ी थी तो वह भी घर से भाग रहा था।

दोनों ने तय किया कि दोनोंं साथ में ही भाग जाते हैं। थोड़ी दूर चलकर उन्हेंं एक मसूर का बीज मिला। नाई के बेटे ने उस्तरे से बीज के दो टुकड़े किये और दोनों ने उसे खा लिया। वह अपने साथ उस्तरा, आइना, कैंची आदि लेकर आया था। धोबी का बेटा खाली हाथ था। चलते-चलते वे दोनोंं एक विशाल घने वन में पहुँच गये। इस घने जंगल में वे एक गुफ़ा के पास पहुँचे। गुफ़ा के बाहर, जंगल का राजा बैठा था और जानवरों के किसी झगड़े का न्याय कर रहा था। 

रात हो गई थी दोनों लड़के कोई सोने के लिये स्थान ढूंढ रहे थे। तभी उन्हें यह गुफ़ा दिखाई दी तो दोनों उसी गुफ़ा में सो गये। रात को शेर आया और गुफ़ा के मुँह पर ऐसे बैठा कि उसकी लम्बी पूँछ गुफ़ा के अंदर थी। उसके साथ उसके परिवार के और सदस्य भी थे।

गुफ़ा में शेर की पूँछ को देखकर नाई के बेटे ने धोबी के बेटे से कहा, चलो इस शेर की पूँछ हम काट देते हैं। यह सुनकर धोबी का बेटा डर गया और उसने कहा – नहीं, नहीं! ऐसा करेंगे तो ये सारे शेर हमें चबाकर खा जायेंगे।

यह सुनकर नाई के लड़के को अच्छा नहीं लगा। उसने कहा, यदि तुम मेरी बात नहीं मानना चाहते तो मेरा मसूर का दाना वापिस कर दो। अब धोबी का बेटा क्या करता! वह मान गया और दोनोंं नें शेर की पूँछ काट डाली। अचानक इस हमले से शेर चौंक गया और डर कर बहुत ज़ोर से चिल्लाया और वहाँ से भाग गया। उसके साथ दूसरे शेर भी भाग गये।

दोनों लड़के भी गुफ़ा को छोड़कर, सोने के लिये कोई और जगह ढूँढने के लिये निकल पड़े। कुछ दूर उन्हें एक बड़ा सा पेड़ दिखा जिसपर चढ़ कर वे दोनों सो गये।

थोड़ी देर बाद पेड़ के नीचे वह जंगल का राजा और दूसरे शेर आ कर बैठे। वह पूँछकटा शेर भी वहाँ था। वे आपस में मीटिंग करने लगे। यह देखकर धोबी का लड़का बहुत घबरा गया। नाई के बेटे ने उसे पेड़ की डाल पर कपड़े से बांध दिया। लेकिन वह डर के मारे इतना ज़ोर से कांप रहा था कि पेड़ की डाल टूट गई और ज़ोर से नीच गिरी। जैसे ही डाल के साथ वो गिर रहा था तो पेड़ के उपर से नाई के लड़के ने उसे चिल्लाते हुए कहा – पकड़ लो इन्हें मेरे दोस्त, यही हैं जिन्हे हम ढूंढ रहे थे। 

यह सुनकर शेर डर गये और वहाँ से भागे। दोनों दोस्त भी उस पेड़ का छोड़ कर और कोई तीसरा ठिकाना ढूँढने निकले। चलते-चलते उन्हें रास्ते में एक बहुत पुराना पावड़ा, एक रस्सी, एक अनाज साफ़ करने वाला सूप और एक छोटा सुअर का बच्चा मिला। यह सब सामान उठाते रहे और आगे बढ़ते गये। रात के अंधेरे में उन्हें एक घर दिखा। वे दोनों अंदर से दरवाज़ा बंद करके वहीं सो गये।

भोर के समय एक विशाल आदमी वहाँआया। उसने देखा कि घर अंदर से बंद है। कौन है अंदर?, विशाल आदमी ने चिल्ला कर पूछा।

अंदर से दोनों चिल्लाये – हम दो हैं।

उस विशाल आदमी ने कहा – मेरे घर में घुस गये! कितनी ताकत है तुम में?

हममें कुछ ताकत नहीं है, उन दोनों ने अंदर से जवाब दिया।

उस आदमी ने कहा तो पहले मैं तुम्हारे दांत देखता हूँ। दांत दिखाओ अपने। तो उन लड़कों ने, रास्ते में मिली पुरानी लोहे की पावड़ी उसे दिखाई। उसे देखकर उस आदमी ने कहो कि अच्छा अब ज़बान दिखाओ। तो उन दोनों ने वो लम्बी घास की रस्सी दिखा दी। फिर उस विशाल आदमी ने कहा, अब अपने कान दिखाओ तो लड़कों ने अनाज साफ़ करने वाले सूप दिखाये। फिर उस आदमी ने कहा सब कुछ देख लिया अब मुँह दिखाओ तो उन्होंने उसे सुअर के बच्चे का मुँह दिखा दिया।

अब उन दोनों लड़कों ने उस विशाल आदमी से कहा कि तुमने तो हमारा सब देख लिया अब तुम हमें अपनी ज़बान दिखाओ।

उस बड़े आदमी ने उनकी बात मानकर अपनी बड़ी सी ज़बान बाहर निकाली। नाई के लड़के ने अपने दोस्त से कहा कि इसकी ज़बान काट देते हैं। धोबी के लड़के ने फिर से मना किया। तो नाई का बेटा गुस्सा हो गया और कहा कि ठीक है, मेरी बात नहीं मानता तो मेरा मसूर का बीज वापिस कर। इस पर धोबी के लड़के ने कहा कि मसूर का बीज कहाँ से लाऊंगा मैं? काट दो।

नाई के लड़के ने उस्तरे से ज़बान काट दी। जैसे ही ज़बान कटी वो विशाल आदमी मर कर गिर गया। पूरे घर के बाहर और घर में उसका खून भर गया। अब दोनों बाहर निकले और उन्होंने उसकी हाथ और पैर की उंगलियाँ  और कान काट कर ले लिये और उस जगह से आगे बढ़ गये।

वह विशाल आदमी इतना खतरनाक था कि उसके घर के आस पास कोई नहीं जाता था। सब लोगों को वो डराता था और बहुत परेशान करता था। वहाँ के राजा ने ऐलान किया कि जो भी उसे मारेगा उसके साथ वो राजकुमारी की शादी कर देगा और उसे आधा राज दे देगा। 

एक कुम्हार अपने मटके बेचने उधर से गुज़रा। उसने देखा की चारों ओर खून फेला है। किसका खून है देखने गया तो उसने देखा कि वो विशाल आदमी मरा पड़ा है। कुम्हार को राजा का ऐलान याद आया। उसने अपने मटके खून में फेंके और खून में लोटने लगा। फिर खून से सना हुआ, टूटे मटके लेकर वो खुशी-खुशी राजकुमारी से शादी करके आधे राज में रहने की बात सोचता हुआ राजा के महल गया। वहाँ उसने बताया कि उसने उस विशाल खतरनाक आदमी को मार दिया है। 

यह सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और अपनी बेटी के साथ कुम्हार की शादी की तारीख़ तय कर दी। कुम्हार तो पहले से शादी शुदा था और उसके बच्चे भी थे। उसने सोचा कि अब तो मैं राजकुमारी से शादी करने वाला हूँ तो उसने अपनी पत्नी और बच्चों को मार कर भगा दिया। 

कुम्हार और राजकुमारी की शादी के दिन वो धोबी और नाई के बेटे भी वहाँ पहुँच गये। उन्होंने राजा से कहा कि उन्होंने उस खतरनाक आदमी को मारा है। यदि इस कुम्हार ने मारा तो इसके पास क्या निशानी है उसकी। और उन दोनों ने अपने साथ लाये कान और उंगलियाँ राजा को दिखाये। कुम्हार, राजा के सामने झूठा साबित हो गया। राजा उस कुम्हार से बहुत नाराज़ हुआ और उस झूठे कुम्हार का मुँह सिलवाकर उसे पीटकर वहाँ से भगा दिया।

नाई के बेटे और उस राजकुमारी की शादी हो गई और वो खुशी-खुशी रहने लगे।

आप मसूर के बीज की कहानी को इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं – https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.34015/page/n101/mode/2up

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